इस योजना का मुख्य उद्देश्य गरीब परिवारों की बेटियों को विवाह के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करना है। इससे न सिर्फ उनका विवाह संपन्न होता है, बल्कि उनके माता-पिता पर वित्तीय बोझ भी कम होता है। यह योजना विशेष रूप से उन परिवारों के लिए है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और अपनी बेटियों के विवाह के खर्चों को वहन नहीं कर सकते।
अब इस योजना के तहत 1 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। सरकार इस योजना को 12 नवंबर, देवउठनी एकादशी से लागू करने की योजना बना रही है, जो इस साल के विवाह मुहूर्तों के साथ मेल खाता है।
राज्य सरकार ने इस योजना में राशि बढ़ाने से हर साल लगभग 283 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ने की संभावना जताई है। हालांकि, सरकार का मानना है कि यह निर्णय बेटियों और उनके परिवारों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो उनके जीवन को बेहतर बनाएगा।
यह योजना उन परिवारों के लिए एक बड़ी राहत है, जो आर्थिक तंगी के कारण अपनी बेटियों के विवाह में मुश्किलों का सामना कर रहे थे। अब इस योजना के अंतर्गत उन्हें बेहतर सहायता मिलेगी, जिससे उनकी बेटियों के विवाह का खर्च आसानी से पूरा किया जा सकेगा।
मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना में हुई इस बढ़ोतरी से न सिर्फ बेटियों को, बल्कि उनके परिवारों को भी काफी राहत मिलेगी। यह फैसला सरकार की ओर से एक सकारात्मक पहल है, जो समाज के गरीब और कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने के प्रयास में सहायक सिद्ध होगी।