उज्जैन।शिप्रा नदी लगातार मैली हो रही है। उज्जैन शहर की पुण्य सलिला मोक्षदायिनी शिप्रा नदी को स्वच्छ और साफ करने की कई योजनाएं बनी, लेकिन धरातल पर कुछ भी नहीं हो सका। पिछले दिनों शिप्रा नदी में गंदा नाला लगातार बहता रहा। नगर निगम ने शिप्रा नदी की स्वच्छता एवं सफाई के लिए दर्जनों कर्मचारियों की नियुक्ति की है। इतने कर्मचारी होने के बाद भी शिप्रा में गंदगी बनी हुई है।
बीते बुधवार को तो शिप्रा नदी में एक अजीब नजारा देखने को मिला। सुबह के समय नदी के बीच में एक कुत्ते का शव बहता मिला। कुत्ते के शव को नदी से निकालने वाला एक भी कर्मचारी घाट पर नहीं था। नदी में स्नान कर रहे बाहर से आए श्रद्धालुओं ने जैसे ही कुत्ते के शव को नदी में देखा तो वह तुरंत नदी से बाहर निकल गए।
एक तरफ शिप्रा नदी में लगातार मिलते गंदे नाले और बदबूदार पानी के बाद अब मरे हुए जानवर के शव भी शिप्रा नदी में मिल रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ शिप्रा नदी के पानी को शुद्ध और साफ कर पीने युक्त बनाने की योजना चल रही है। शिप्रा नदी को साफ और स्वच्छ रखने की कई योजनाएं बनी अवश्य हैं, लेकिन सफल आज तक नहीं हो पाई। कल गुरुवार को महापौर और अधिकारियों द्वारा शिप्रा नदी को लेकर एक योजना बनाई गई और कहा गया कि सिंगापुर की कंपनी H2o मंत्रा द्वारा शिप्रा नदी के आसपास प्लांट लगाकर शिप्रा नदी के पानी को साफ और स्वच्छ कर पानी को बोतलों में भरकर श्रद्धालुओं को दिया जाएगा।
इस योजना पर सिंगापुर से आए जल वैज्ञानिक डॉ. शैलेश खरकवाल से महापौर और निगम के अधिकारियों ने बैठक की। तय हुआ कि शिप्रा नदी का पानी जब स्वच्छ और साफ हो जाएगा तब पानी का नाम महाकाल नीर या शिप्रा नीर रखा जाएगा। वर्तमान में शिप्रा नदी के जो हालात हैं, उस पानी में श्रद्धालु नहाने के लिए भी हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं। अगर नगर निगम की योजना सफल हुई तो फिर शिप्रा नदी स्वच्छ हो सकती है।
इस मामले को लेकर जब महापौर मुकेश टटवाल और निगमायुक्त रोशन सिंह से चर्चा करने की कोशिश की गई तो उनका फोन नहीं उठा।