नई दिल्ली। इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (इरडा) ने जीवन बीमा और टर्म इंश्योरेंस में डेथ क्लेम से जुड़ी प्रक्रियाओं को और सरल बना दिया है। अब ऐसे डेथ क्लेम, जिनमें किसी तरह की जांच की जरूरत नहीं है, उन्हें 15 दिनों के भीतर निपटाना अनिवार्य कर दिया गया है। पहले यह प्रक्रिया 30 दिनों में पूरी होती थी। यह कदम बीमा कंपनियों की जवाबदेही बढ़ाने और ग्राहकों को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
कंपनियों के लिए सख्त समय सीमा
इरडा द्वारा जारी नए सर्कुलर में बीमा कंपनियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि जिन डेथ क्लेम मामलों में जांच की जरूरत है, उन्हें 45 दिनों के भीतर निपटाया जाए। पहले इन मामलों के निपटारे में 90 दिन का समय लगता था। अगर बीमा कंपनियां इस समय सीमा का पालन नहीं करती हैं, तो ग्राहक बीमा लोकपाल से संपर्क कर सकते हैं, जो बीमा कंपनियों पर कार्रवाई का अधिकार रखते हैं।
अन्य महत्वपूर्ण निर्देश:
1. नई बीमा पॉलिसी जारी करने की प्रक्रिया**: ग्राहकों को जल्द कवरेज देने के लिए, बीमा प्रस्ताव की प्रक्रिया 7 दिनों के भीतर पूरी की जानी चाहिए।
2. पॉलिसी डॉक्यूमेंट: पॉलिसी की कॉपी 15 दिनों के भीतर बीमा प्रस्ताव फॉर्म के साथ ग्राहक को प्रदान करनी होगी, ताकि वे अपनी पॉलिसी की समीक्षा कर सकें।
3. मैच्योरिटी और अन्य भुगतान: मैच्योरिटी क्लेम, सरवाइवल बेनिफिट्स और एन्युटी भुगतान उनकी निर्धारित तारीखों पर निपटाने होंगे।
4. स्वास्थ्य बीमा क्लेम: कैशलेस क्लेम को 3 घंटे के भीतर और नॉन-कैशलेस क्लेम को 15 दिनों के भीतर निपटाना होगा।
5. शिकायत निपटान: ग्राहकों की शिकायतों का निपटारा 14 दिनों के भीतर अनिवार्य रूप से करना होगा। यदि ऐसा संभव न हो, तो बीमा कंपनियों को कारण बताते हुए ग्राहक को सूचित करना होगा।
ग्राहकों के लिए नई सुविधाएं
बीमा कंपनियों को अब अपनी सभी पॉलिसियों को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में जारी करना होगा, जिन्हें ग्राहक डिजिटल रूप से साइन कर सकेंगे। इसके साथ ही कंपनियों को एक कस्टमर इंफॉर्मेशन शीट (CIS) प्रदान करनी होगी, जिसमें बीमा पॉलिसी से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियों का सारांश होगा।
फ्री-लुक पीरियड 30 दिन
इरडा ने सभी जीवन बीमा पॉलिसियों के लिए फ्री-लुक पीरियड को 30 दिन तक बढ़ा दिया है। इस अवधि में यदि ग्राहक को बीमा पॉलिसी पसंद नहीं आती है, तो वे इसे वापस कर सकते हैं।
इरडा के इन नए निर्देशों से बीमाधारकों को जल्द सेवाएं मिलेंगी, और बीमा कंपनियों की कार्यक्षमता में सुधार होगा, जिससे ग्राहकों का भरोसा भी बढ़ेगा।