भोपाल: मध्यप्रदेश विधानसभा में बीना सीट से कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे की सदस्यता को लेकर चल रहे विवाद का फैसला अगले सप्ताह हो सकता है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने विधानसभा में याचिका दायर कर उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग की थी, जिसके बाद सप्रे को विधानसभा सचिवालय द्वारा नोटिस जारी किया गया था। अब सप्रे ने बंद लिफाफे में अपने उत्तर को विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए भेजा है।
कांग्रेस ने क्यों की सदस्यता रद्द करने की मांग?
निर्मला सप्रे ने लोकसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्यता ग्रहण की थी। इस कदम के बाद नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इसे दल बदल कानून का उल्लंघन मानते हुए उनकी विधानसभा की सदस्यता समाप्त करने की मांग की थी। उनके अनुसार, सप्रे का भाजपा में शामिल होना कांग्रेस के नियमों के खिलाफ है और उनके विधायक पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है।
विधानसभा अध्यक्ष के नोटिस का जवाब
सप्रे को विधानसभा सचिवालय द्वारा दो बार नोटिस जारी किया गया था, लेकिन उन्होंने इसका कोई उत्तर नहीं दिया था। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें एक सप्ताह का समय दिया, और अंततः 10 अक्टूबर को उन्होंने बंद लिफाफे में अपना जवाब प्रस्तुत किया। यह उत्तर अब अगले सप्ताह कार्यालयीन दिनों में विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा, जिसके बाद अंतिम निर्णय की संभावना है।
सप्रे के उत्तर का असर और संभावित परिणाम
यदि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा सप्रे के उत्तर को संतोषजनक नहीं पाया जाता है, तो उनकी विधायकी पर खतरा मंडरा सकता है। दलबदल कानून के अनुसार, यदि कोई विधायक अपनी पार्टी छोड़कर किसी अन्य पार्टी में शामिल होता है, तो उसकी सदस्यता समाप्त की जा सकती है।
उपचुनाव की संभावना बढ़ी
अगर सप्रे की सदस्यता समाप्त की जाती है, तो बीना सीट पर उपचुनाव कराने की आवश्यकता होगी। ऐसी स्थिति में यह सीट मध्यप्रदेश की सियासी हलचल को और तेज कर सकती है, क्योंकि पहले से ही बुधनी और विजयपुर में उपचुनाव की तैयारी चल रही है।
कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के लिए महत्वपूर्ण मामला
इस विवाद ने दोनों दलों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। कांग्रेस इसे अपनी प्रतिष्ठा का सवाल मान रही है और भाजपा को निशाने पर लेते हुए कह रही है कि सत्ताधारी दल अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर विधायकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। वहीं, भाजपा के लिए यह मामला महत्वपूर्ण है
निर्मला सप्रे की विधायकी पर अगले सप्ताह होने वाले फैसले का मध्यप्रदेश की राजनीति पर गहरा असर पड़ सकता है। सभी की निगाहें अब विधानसभा अध्यक्ष के फैसले पर टिकी हैं, जो यह निर्धारित करेगा कि सप्रे विधानसभा में अपना पद बरकरार रख पाएंगी या नहीं।