भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर अभी से मतभेद सामने आने लगे हैं। एक तरफ कमल नाथ को चेहरा मानते हुए उनके पोस्टर पूरे प्रदेश में कई जगह लगाए गए हैं, वहीं दूसरी तरफ पूर्व अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने यह कहकर नया विवाद खड़ा कर दिया है कि चुनाव परिणाम आने के बाद ही मुख्यमंत्री का चयन होगा। असंतोष के इस दौर की शुरुआत प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा के साथ हुई। पूर्व मंत्री एवं विधायक जीतू पटवारी नई कार्यकारिणी में कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष का पद नहीं होने से नाराज हैं।
वे कह रहे हैं कि उनकी इस पद पर नियुक्ति राष्ट्रीय नेतृत्व ने की, इसलिए वे पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे। इस पर भाजपा भी कटाक्ष करने से नहीं चूकी, कहा गया कि कांग्रेस में सर्कस चल रहा है। अरुण यादव के बयान को उनके आपसी संबंधों के हिसाब से भी देखा जा रहा है। यादव और कमल नाथ के बीच तनातनी लंबे समय से चल रही है। खंडवा लोकसभा का उपचुनाव यादव लड़ना चाहते थे, लेकिन कमल नाथ ने उन्हें टिकट नहीं दिया था।
पिछले दिनों मीडिया से बात करते हुए यादव ने कहा था कि कांग्रेस में शुरू से तय है कि वह चेहरा घोषित नहीं करती। कमल नाथ सर्वमान्य अध्यक्ष हैं, पर मुख्यमंत्री कौन और कैसे बनेगा, यह चुनाव बाद तय होगा। सूत्र बताते हैं कि यादव को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का भी समर्थन है। हालांकि, शनिवार को मीडिया से बात करते हुए दिग्विजय सिंह ने कहा कि इस बारे में उनकी कोई बात नहीं हुई है।