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Saturday, November 16, 2024

TI और महिला SI को डिवीजन बेंच ने दी राहत, अब नहीं होगी FIR और नहीं जाएंगे पुलिस ट्रेनिंग स्कूल

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ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ की डिवीजन बेंच ने हजीरा थाने के टीआई और वही तैनात सब इंस्पेक्टर को बड़ी राहत प्रदान की है। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने इन दोनों पुलिस अफसरों को 6 महीने और 1 साल की ट्रेनिंग पर भेजने के आदेश 21 जून को दिए थे, उन पर एक नाबालिग लड़की के अपहरण के मामले लचर विवेचना पर प्राथमिकी दर्ज करने और उन्हें दोबारा पुलिस प्रशिक्षण स्कूल भेजने के निर्देश दिए गए थे। इसके खिलाफ निरीक्षक मनीष धाकड़ और सब इंस्पेक्टर रागिनी परमार ने हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में अपील की थी। 

हाईकोर्ट में अतिरिक्त महाधिवक्ता एमटीएस रघुवंशी ने सरकार की ओर से कोर्ट को बताया कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई डिवीजन बेंच में ही हो सकती है, लेकिन यह फैसला सिंगल बेंच का था। इस पर कोर्ट ने निरीक्षक मनीष धाकड़ और उप-निरीक्षक रागिनी परमार को मप्र हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई। 21 जून को एक महिला की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के दौरान सिंगल बेंच ने नाबालिग को ढूंढने के मामले में लापरवाही बरतने पर दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और पुलिस ट्रेनिंग पर भेजने का निर्देश दिया था। इस आदेश के खिलाफ डिवीजन बेंच में अपील की गई। इस मामले में कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह में जवाब मांगा है।

दरअसल एक महिला जो उपनगर ग्वालियर में रहती है, उसकी बेटी 25 मई को घर से गायब हो गई थी। मां ने याचिका दायर करते हुए सिटी सेंटर निवासी सोनू ओझा व एक अन्य पर अपनी नाबालिग बेटी को बंदी बनाने का आरोप लगाया था। 13 जून को हुई सुनवाई में हजीरा पुलिस ने नाबालिग को कोर्ट में पेश किया था। कोर्ट को बताया गया कि नाबालिग भिंड में एक कमरा लेकर किराए से रह रही थी। कोर्ट ने इस बात पर कड़ी नाराजगी जताई थी कि 9 जून को पुलिस ने नाबालिग को बरामद किया, लेकिन मां को इसकी जानकारी नहीं दी। नाबालिग का मेडिकल नहीं कराया, यहां तक की जिस युवक के साथ भिंड गई थी। उसको आरोपी नहीं बनाया। कोर्ट में जब पुलिस को फटकार लगी तो युवक सोनू को आरोपी बनाया और गिरफ्तार किया।

डिवीजन बेंच में होगी सुनवाई

इस अपील की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता डाॅ. एमपीएस रघुवंशी ने बताया कि प्रिंसिपल सीट जबलपुर में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई डिवीजन बेंच में ही हो रही है, जबकि ग्वालियर में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई डिवीजन बेंच के साथ ही सिंगल बेंच में की जा रही है। संभवत: ग्वालियर बेंच में भी शुक्रवार से बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई केवल डिवीजन बेंच में ही होगी।

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