मध्यप्रदेश। सरकार भ्रष्टाचार कम करने की चाहे लाख कोशिश कर ले लेकिन इसे पाल पोस रहे अधिकारी इसकी जड़ थामे बैठे हैं. रायबरेली स्वास्थ्य विभाग का भ्रष्टाचार छिपाने का एक मामला लंबे समय से अखबारों की सुर्खियां बन रहा था, जिसे देख जिले के कलेक्टर ने सीएमओ को इसकी रोकथाम के लिए मीटिंग में फटकार लगा दी. सीएमओ को डांट खाना नागवार गुजरा और उन्होंने उल्टे जिलाधिकारी के खिलाफ स्वास्थ्य महानिदेशक को चिट्ठी लिख दी. बाद में स्वास्थ्य संगठनों के बीच बचाव के बाद मामला शांत हुआ लेकिन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की परतें जनता के सामने जरूर खुल गईं| रायबरेली के सीएमओ संजय शर्मा ने अपने विभाग के उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े अधिकारी यानी महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को एक चिट्ठी लिख डाली. इसमें उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी ने उन्हें गधा कहा, उनकी खाल खींच लेने जैसे शब्दों का प्रयोग किया. बाद में यह चिट्ठी बहुत तेजी से वायरल हो गई| सीएमओ की चिट्ठी वायरल होने के बाद प्रशासनिक अमले के साथ राजनीतिक हलकों में भी हल्ला मच गया. हर तरफ सीएमओ की चर्चा होने लगी. इस पूरे घटनाक्रम के बारे में जब सीएमओ से बात करने का प्रयास किया गया तो पहले तो उन्होंने फोन ही नहीं उठाया. बाद में उन्होंने बात करने से मना करते हुए कह दिया कि ऑफिस सही जगह नहीं है बात करने के लिए|
सूत्रों की मानें तो जिलाधिकारी ने जिले में आते ही अलग-अलग विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की और लापरवाह अधिकारियों को सुधर जाने की सलाह दी. रायबरेली में लगातार बढ़ रहे कोविड के मामलों के कारण उन्होंने स्वास्थ्य महकमे को भी मीटिंग के लिए बुलाया था जहां पर उन्होंने सीएमओ को सुधरने की सलाह दी थी. जिले में टाइम सेंटर्स में खाने का काम संभालने वाले डॉक्टर की अनुपस्थिति का भी मीटिंग के दौरान पता चला. इससे जिलाधिकारी खासे नाराज हुए और उन्होंने इसके लिए सीएमओ को डांटा. उन्होंने साफ कहा कि जो हो रहा था अब ऐसा नहीं होगा और सबको सुधरने की जरूरत है, नहीं तो सबके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी| बता दें कि जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने हाल में ही रायबरेली के जिला अधिकारी के रूप में पदभार ग्रहण किया है. इसके पहले उन्होंने पीलीभीत में जिला अधिकारी के तौर पर काम किया है और हाल में ही केंद्र सरकार की ओर से भूजल कार्य के लिए इन्हें सम्मानित किया गया है. अपनी कार्यशैली के लिए वे खासे चर्चा में भी रहते हैं. शनिवार को पूरे दिन के घटनाक्रम के बाद देर शाम होते-होते एक पत्र भी सामने आ गया, जिसमें रायबरेली के सरकारी डॉक्टरों के संगठन पीएमएस ने सीएमओ के आरोपों को खारिज करते हुए जिलाधिकारी को हरी झंडी दे दी|
दरअसल सरकारी डॉक्टरों के संगठन ने अपने ही विभाग के वरिष्ठ अधिकारी सीएमओ का साथ न देते हुए जिलाधिकारी का पक्ष लिया क्योंकि उनका मानना है कि अपने-अपने तरीके से हमारे सीनियर काम कराते हैं. जबकि सीएमओ ने जिलाधिकारी के ऊपर यही आरोप लगाए थे. पीएमएस के अध्यक्ष ने अपने लेटर में कहा कि गधा कहना गाली की श्रेणी में नहीं आता, यह तो अपने कर्मचारियों से काम कराने का एक शब्द मात्र है जिसके लिए जिला अधिकारी के खिलाफ किसी भी तरीके का विरोध प्रदर्शन किया जाना उचित नहीं होगा|