भोपाल: मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के दौरान लोकसभा और विधानसभा चुनावों में काले धन के इस्तेमाल के मामले में पड़े इनकम टैक्स रेड के दस्तावेजों में कई बड़े नामों उजागर हुए हैं. छापों के दौरान बरामद कई दस्तावेज हाथ लगे हैं. इनमें तीन आईपीएस अफसरों सुशोभन बैनर्जी, संजय माने, बी मधुकुमार के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, बिसाहूलाल सिंह, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, प्रद्युम्न सिंह तोमर, सज्जन सिंह वर्मा समेत 64 से अधिक वर्तमान विधायकों व नेताओं के नामों का जिक्र है. तीनों आईपीएस अधिकारियों के नामों के आगे 25-25 लाख रुपए की राशि का उल्लेख किया गया है|
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इन दस्तावेजों में टेक्सटाइल, सीमेंट, रोड कंस्ट्रक्शन के कई उद्योगपतियों समेत कई सरकारी विभागों का भी जिक्र है. इन विभागों और कांग्रेस नेताओं के बीच करोड़ों रुपए के लेनदेन का जिक्र कागजों में है. आपको बता दें कि कमलनाथ सरकार के दौरान चुनावों में कालेधन के इस्तेमाल के मामले में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने चुनाव आयोग को अपनी रिपोर्ट भेजी थी. इसके बाद आयोग ने शिवराज सरकार को 3 आईपीएएस अफसरों और एक राज्य सेवा के अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे. सूत्रों की मानें तो मध्य प्रदेश सरकार जल्द ही यह केस ईओडब्ल्यू को सौंप सकती है|
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आयकर विभाग की इन्वेस्टिगेशन विंग के दस्तावेज में कांग्रेस के दिल्ली स्थिति दफ्तर भी पैसे भेजने का जिक्र है. खास बात ये है कि उन नेताओं की संलिप्तता भी सामने आ रही है जो इस साल कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे. इनमें से कई वर्तमान शिवराज सरकार में मंत्री भी हैं. इसके अलावा हवाला कारोबारी ललित चेलानी के लैपटॉप से भी चौंकाने वाली जानकारियां मिली हैं|
आयकर विभाग ने जिनके यहां छापेमारी की थी उनमें कमलनाथ के करीबी प्रवीण कक्कड़, राजेंद्र मिगलानी और रिश्तेदार रतुल पुरी की कंपनी के साथ अश्विनी शर्मा, ललित चेलानी और प्रतीक जोशी शामिल थे. लोकसभा चुनाव के ठीक पहले अप्रैल 2019 को एमपी और दिल्ली में 52 जगहों पर आयकर छापे पड़े थे. चेलानी के ठिकाने से 1.9 करोड़, प्रतीक के ठिकाने से 10.33 करोड़ रुपए सीज हुए थे. दिल्ली में 18 करोड़, भोपाल में 40.50 करोड़, जबलपुर में 15 करोड़, केके को 3 करोड़, एआईसीसी (All India Congress Committee) को 6 अप्रैल 2019 को 20 करोड़ रुपए भेजने का जिक्र अयाकर विभाग के दस्तावेजों में है. कुल 64 विधायकों और चुनाव कैंडिडेट्स को बांटा गया था पैसा. बसपा विधायक रामबाई, संजीव सिंह कुशवाह के भी नाम सामने आए हैं|
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बिसाहूलाल सिंह, प्रद्युम्न सिंह तोमर, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, एदल सिंह कंसाना, गिर्राज दंडोतिया, रणवीर जाटव, कमलेश जाटव, रक्षा संतराम सिरोनिया, प्रद्युम्न लोधी, राहुल लोधी, नारायण सिंह पटेल, सुमित्रा देवी कास्देकर, मनोज चौधरी, और संजीव सिंह कुशवाह
अजय सिंह, कंप्यूटर बाबा, शाद अहमदाबाद, योगेश राठौर, रणदीप सुरजेवाला, दिग्विजय सिंह, अभिषेक मिश्रा, फुंदेलाल मार्को, विजय राघवेंद्र सिंह, ओमकार सिंह मरकाम, नारायण पट्टा, योगेंद्र बाबा, डॉ. असोक मर्सकोले, अर्जुन काकोदिया, संजय उइके, ब्रह्मा भलावी, भूपेंद्र मरावी, सज्जन सिंह, बाबू जंडेल, बैजनाथ कुशवाहा, प्रवीण पाठक, घनश्याम सिंह, गोपाल सिंह चौहान, तनवर लोधी, नीरज दीक्षित, विक्रम सिंह नातीराजा, शिवदयाल बागरी, सिद्धार्थ कुशवाहा, संजय यादव, शशांक भार्गव, आरिफ मसूद, गोवर्धन सिंह दांगी, बापू सिंह तोमर, महेश परमार, राजेश कुमार (सपा), राणा विक्रम सिंह, देवेंद्र पटेल, रामलाल मालवीय, मुरली मोरवाल, झूमा सोलंकी, सचिन बिड़ला, रवि रमेशचंद्र जोशी, केदार चिड़ाभाई डावर, ग्यारसीलाल रावत, चंद्रभागा किराड़े, मुकेश रावत पटेल, कलावती भूरिया, वीरसिंह भूरिया, वाल सिंह मेढ़ा, प्रताप ग्रेवाल, पांचीलाल मेढ़ा, हर्ष विजय सिंह गेहलोत, आरकेएम, मीनाक्षी नटराजन, कमल मरावी, प्रमिला सिंह, मधु भगत, देवाशीष जरारिया, शशि कर्णावत, शैलेंद्र सिंह दीवान, कविता नातीराजा, मुकेश श्रीवास्तव, ब्रजेश पटेल, बिरला लोधा आदि है |
इनमें तीन आईपीएस अफसरों सुशोभन बैनर्जी, संजय माने, बी मधुकुमार भाजपा सरकार में हुए ई टेंडर घोटाले की जांच से भी जुड़े हुए थे। कुछ दिन पहले चुनाव आयोग ने एमपी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) को तीन आईपीएस अफसरों सहित सभी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं जिन पर 2019 के इलेक्शन के दौरान ब्लैकमनी को इधर से उधर करने के आरोप लगे थे। इनकम टैक्स विभाग ने पूर्व सीएम के परिजनों और सहयोगियों के यहां मारे गए छापों के बाद यह आरोप लगाए थे। आयकर विभाग ने छापों में पाया था कि 2019 के आम चुनाव में भारी मात्रा में नकदी का इस्तेमाल किया गया था। इसकी रिपोर्ट आयकर विभाग की शीर्ष संस्था सीबीडीटी ने इलेक्शन कमीशन को भेजी थी।
इलेक्शन कमीशन की ने इस संबंध में एक बयान भी जारी किया था जिसके मुताबिक सीबीडीटी की रिपोर्ट में कहा गया था कि इन की अफसरों की एक राष्ट्रीय पार्टी की ओर से कुछ लोगों तक पैसा पहुंचाने में भूमिका रही है। आयोग ने उस राष्ट्रीय पार्टी का नाम नहीं लिया था।
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