लखनऊ। मध्य प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के रिश्तेदार और यूपी के दिवंगत मंत्री व गोरखपुर के बाहुबली हरिशंकर तिवारी के बेटे समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी को सोमवार की शाम प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उनके लखनऊ स्थित आवास से गिरफ्तार कर लिया। उन पर बैंक ऑफ इंडिया के कंसोर्टियम से 754 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का आरोप है। साथ ही, उनकी कंपनी गंगोत्री इंटरप्राइजेज के जनरल मैनेजर अजीत पांडे को भी महराजगंज से गिरफ्तार किया गया। अजीत पांडे विनय शंकर तिवारी के रिश्तेदार हैं और इस गिरफ्तारी के दौरान घर की महिलाओं ने विरोध किया, जिसके बाद पुलिस और परिवार के बीच हल्की धक्का-मुक्की भी हुई। गिरफ्तारी के बाद, ED ने दोनों को सीबीआई स्पेशल कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। विनय शंकर तिवारी पूर्वांचल के प्रसिद्ध नेता रहे हरिशंकर तिवारी के बेटे हैं।
ED की छापेमारी और संपत्तियों की जब्ती
ED ने सोमवार सुबह 6 बजे से पहले लखनऊ, नोएडा, गोरखपुर, मुंबई और दिल्ली के 10 ठिकानों पर छापेमारी की। गोरखपुर में छापे के दौरान 7 घंटे तक सर्चिंग चली। इससे पहले 18 मार्च, 2024 को ED ने गंगोत्री इंटरप्राइजेज की 12 संपत्तियों को जब्त किया था, जिनमें गोरखपुर, लखनऊ और नोएडा की संपत्तियां शामिल थीं। ED ने इस मामले में मुख्य आरोपी के तौर पर रीता तिवारी (विनय की पत्नी) और अजीत पांडे के साथ-साथ गंगोत्री इंटरप्राइजेज के अन्य प्रमोटर्स, डायरेक्टर्स और गारंटर्स के खिलाफ भी कार्रवाई की है।
विनय शंकर तिवारी का आरोप
विनय शंकर तिवारी के भाई कुशल शंकर तिवारी ने कहा कि यह पूरी कार्रवाई राजनीतिक द्वेष के तहत की जा रही है। उनका कहना था कि सरकार के इशारे पर उन्हें और उनके परिवार को निशाना बनाया जा रहा है। कुशल ने यह भी आरोप लगाया कि ED ने एक कागज का टुकड़ा भी नहीं पाया, लेकिन फिर भी इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया।
मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप और बैंक धोखाधड़ी
ED के मुताबिक, गंगोत्री इंटरप्राइजेज के निदेशकों और प्रमोटरों ने मिलकर बैंकों से प्राप्त 754 करोड़ रुपए की कैश क्रेडिट लिमिट का दुरुपयोग किया और इसे धोखाधड़ी से हड़प लिया। इसके बाद इस राशि को निजी संपत्तियों की खरीदारी में डायवर्ट कर दिया गया। बैंकों की शिकायत पर CBI ने इस मामले में FIR दर्ज की थी, जिसके आधार पर ED ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया और जांच शुरू की।
इसके पहले भी फरवरी 2024 में ED ने विनय शंकर तिवारी और उनके रिश्तेदारों के 10 ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसके दौरान बैंकों से खरीदी गई संपत्तियों के दस्तावेज मिले थे। ED ने तब 103 करोड़ रुपए की संपत्तियां जब्त की थीं। इस पूरे मामले से यह साफ है कि ED की कार्रवाई और आरोपों का असर विनय शंकर तिवारी की राजनीतिक और निजी जिंदगी पर पड़ सकता है। दरअसल, विनय शंकर तिवारी का राजनीतिक करियर भी काफी दिलचस्प रहा है। उन्होंने 2007 में राजनीति में कदम रखा, लेकिन 2017 में बसपा के टिकट पर चिल्लूपार सीट से विधायक बनने में सफलता पाई थी। बाद में, 2022 में वह सपा में शामिल हो गए, लेकिन चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। उनका राजनीतिक जीवन उनके पिता हरिशंकर तिवारी के बाद राजनीतिक पृष्ठभूमि पर आधारित था, जो लंबे समय तक विधायक रहे थे।