भोपाल :- मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि जिस तरह मध्यप्रदेश ने बीते वर्षों में बिजली, पानी और कृषि के क्षेत्र में विकास के नए रिकार्ड बनाए हैं, उसी तरह अब स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में श्रेष्ठ उपलब्धियाँ प्राप्त करने के प्रयास होंगे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप निर्माण के लिए वेबिनार श्रृंखला के माध्यम से किए जा रहे मंथन के तीसरे दिन स्वास्थ्य और शिक्षा वेबिनार का शुभारंभ कर रहे थे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशन में भारत की नई शिक्षा नीति के तीन प्रमुख उद्देश्यों ज्ञान-कौशल और संस्कार को प्राप्त करने के सोच से तैयार की गई है। मध्यप्रदेश इसका आदर्श तरीके से क्रियान्वयन करेगा। स्वास्थ्य क्षेत्र में भी आयुष्मान भारत योजना में नया सहारा दिया है। यह योजना मार्गदर्शक सिद्ध हो रही है। मध्यप्रदेश में दूरस्थ ग्रामीण अंचलों तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं पहुँचाने का कार्य किया जाएगा।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि तकनीकि शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश में 600 करोड़ की लागत से सिंगापुर के सहयोग से ग्लोबल स्किल पार्क के विकास की योजना है। इसके क्रियान्वयन की गति बढ़ायी जाएगी। और स्वास्थ्य और शिक्षा सहित अन्य क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता की प्राप्ति के लिए नीति आयोग के निर्देशन में इस वेबिनार श्रृंखला के माध्यम से रोडमैप तैयार करने का महत्वपूर्ण कार्य हो रहा है। तीन वर्ष में विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लक्ष्यों को प्राप्त किया जाएगा।
इसके साथ ही केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के लिए वेबिनार का आयोजन प्रशंसनीय है। विचार-विमर्श से महत्वपूर्ण सुझाव मिलते हैं। भारत की नई शिक्षा नीति के लिए करीब सवा दो लाख सुझाव प्राप्त हुए। नई शिक्षा नीति में 10+2 के फार्मेट स्थान पर 5+3+3+4 फार्मेट लागू होगा। स्वतंत्र भारत के बाद हुए सबसे बड़े नवाचार में अनेक शिक्षाविद् और कुलपति आदि ने परामर्श देने का कार्य किया। निशंक ने भारत की नई शिक्षा नीति की विशेषताओं का विस्तार से उल्लेख किया।
आगे भी निशंक ने बताया कि कक्षा छठवीं से विद्यार्थी व्यावसायिक शिक्षा से जुड़ जाएगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कोई बच्चा शिक्षा से नहीं छूटेगा। करीब ढाई करोड़ विद्यार्थी के ड्राप आउट को समाप्त करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि अब पहली से पांचवी कक्षा तक मातृभाषा का उपयोग किया जाएगा। विश्व के अनेक देशों में मातृभाषा को इस तरह का महत्व दिया गया है।
भारत में पहली बार आठवीं अनुसूची में शामिल भारतीय भाषाओं को शिक्षा से जोड़ा गया है। विद्यार्थी स्वयं का मूल्यांकन करेगा। उसे रिपोर्ट कार्ड नहीं प्रोग्रेस कार्ड प्राप्त होगा। वोकेशनल विषयों को सुनने का विकल्प दिया गया है। विज्ञान के विद्यार्थी भी संगीत और मनोविज्ञान पढ़े सकेंगे। पाठ्यक्रम पूरा न हो पाने पर भी प्रमाण पत्र, डिप्लोमा और डिग्री शिक्षा प्राप्त करने की अवधि के अनुसार प्रदान की जाएगी। स्टडी इन इंडिया, स्टे इन इंडिया के तहत भारत के विद्यार्थियों को प्राप्त शिक्षा भारत के काम आए, यह प्रयास होंगे।
अब पाठ्यक्रम नवाचार के साथ लागू होंगे। शोध की संभावनाओं को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार ने आवश्यक व्यवस्थाएं की हैं। केन्द्र सरकार ने मिड-डे मील पर 580 करोड़, केंद्रीय विद्यालयों को सक्षम बनाने पर 6495 करोड़, नवोदय विद्यालय की व्यवस्था करने के लिए 803 करोड़ रुपए की राशि दी है। केंद्रीय मंत्री निशंक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री चौहान को आश्वस्त किया कि मध्यप्रदेश स्थित केंद्रीय संस्थानों को सक्षम बनाकर आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के टारगेट को पूरा करने में सहयोग दिया जाएगा।