इंदौर। मध्यप्रदेश के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर 16 जनवरी से 1 महीने तक प्रदेश में चरणबद्ध आंदोलन करेंगे। इसकी शुरुआत आज गुरुवार से हो रही है। राजधानी भोपाल में आज हजारों कर्मचारी अपनी 51 सूत्रीय मांगों को लेकर सड़कों पर उतरने की तैयारी में हैं। कर्मचारी संघों ने सरकार से अपनी मांगों पर विचार करने की अपील की थी और चेतावनी दी थी कि अगर मांगे पूरी नहीं हुईं तो आंदोलन किया जाएगा। अब प्रदेश के सरकारी अधिकारी और कर्मचारी एक बड़े आंदोलन की शुरुआत करने जा रहे हैं, जो पूरे एक महीने तक चलेगा।
1 महीने तक चलेगा कर्मचारियों का आंदोलन
अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष एमपी द्विवेदी ने जानकारी दी कि 16 जनवरी को सभी जिला कलेक्टरों को कर्मचारी संघों द्वारा मुख्यमंत्री मोहन यादव और मुख्य सचिव अनुराग जैन के नाम ज्ञापन सौंपा जाएगा। इस ज्ञापन में 46 सूत्रीय मांगों का जिक्र होगा। यदि इन पर विचार नहीं किया गया तो आंदोलन का दूसरा चरण शुरू होगा, जिसमें 24 जनवरी को सभी विधायकों और सांसदों को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
सीएम और मुख्य सचिव के नाम सौंपेंगे ज्ञापन
मध्य प्रदेश अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा, भोपाल के अध्यक्ष उमाशंकर तिवारी ने बताया कि 51 सूत्रीय मांगों को लेकर 16 जनवरी 2025 को दोपहर 1:30 बजे राजधानी भोपाल के कर्मचारी राज्य मंत्रालय में मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के नाम ज्ञापन सौंपा जाएगा।
51 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन
इन मांगों में पदोन्नति पर लगी रोक हटाने, 3% महंगाई भत्ता और महंगाई राहत केंद्रीय दर के अनुसार प्रदान करने, वाहन और गृह भत्ता बढ़ाने, सीपीसीटी का बंधन समाप्त करने, नियुक्ति के बाद परिवीक्षा अवधि को फिर से 2 वर्ष करने, वाहन चालक और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पदनाम बदलने, पेंशन के लिए सेवा अवधि 25 वर्ष करने, लिपिकों की वेतन विसंगतियां दूर करने, शिक्षकों, पटवारियों, वन कर्मियों और संविदा कर्मियों की विभिन्न मांगें शामिल हैं।
16 फरवरी को उग्र आंदोलन की चेतावनी
इसके बाद भी समाधान नहीं हुआ तो तीसरे चरण में 7 फरवरी को सभी जिला मुख्यालयों में धरना प्रदर्शन किया जाएगा। भोपाल में इस दौरान सतपुड़ा भवन के सामने सांकेतिक प्रदर्शन होगा। यदि मांगें नहीं मानी गईं तो 16 फरवरी को ब्लॉक, जिला और संभाग स्तर पर उग्र आंदोलन किए जाएंगे।