भोपाल। मध्यप्रदेश के सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों को जल्द ही प्रमोशन मिल सकता है। मुख्यमंत्री मोहन यादव के बयान से कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ सकती है, क्योंकि उन्होंने प्रमोशन मिलने की बात कही है।
प्रमोशन पर मुख्यमंत्री मोहन यादव का बयान
सीएम मोहन यादव ने कहा कि जब हम सभी की चिंता करते हैं तो अपने परिवार यानी अधिकारियों और कर्मचारियों की चिंता क्यों नहीं करेंगे। ये कर्मचारी हमारे ही हैं, और हमने इनके लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। यह सिर्फ शुरुआत है। अधिकारियों और कर्मचारियों की पदोन्नति का मसला लंबित है, और हम इस दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं।
विधानसभा में सीएम ने दिए थे संकेत
मध्यप्रदेश विधानसभा में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने संकेत दिए थे कि कर्मचारियों के प्रमोशन पर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा। पिछले 9 सालों से प्रदेश में कर्मचारियों और अधिकारियों के प्रमोशन पर रोक लगी हुई है, जिसके कारण 1 लाख से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी बिना प्रमोशन के रिटायर हो चुके हैं।
प्रमोशन पर क्यों लगी थी रोक
2002 में तत्कालीन सरकार ने प्रमोशन के नियमों में आरक्षण का प्रावधान किया था, जिसके तहत आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों को प्रमोशन मिलते गए, जबकि अनारक्षित वर्ग के कर्मचारी पीछे रह गए। इस पर विवाद बढ़ने के बाद कर्मचारियों ने कोर्ट में मामला दायर किया और प्रमोशन में आरक्षण खत्म करने की मांग की। कोर्ट ने यह तर्क मानते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002 को खारिज कर दिया। इसके बाद सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जहां सुप्रीम कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया, और 30 अप्रैल 2016 से प्रदेश में प्रमोशन पर रोक लग गई।
सरकार अब क्या कदम उठा रही है
मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद, वित्त विभाग ने अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रमोशन देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए विधि विभाग से सलाह ली जा रही है। हाल ही में विधि विभाग ने 150 से ज्यादा कर्मचारियों को विभागीय भर्ती नियमों के तहत प्रमोशन दिया है।
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