भोपाल। लाड़ली बहना योजना, जो भाजपा सरकार के लिए सियासी दृष्टि से लाभकारी रही है, अब खजाने पर भारी पड़ रही है। इस एक योजना पर सालाना लगभग 19 हजार करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। इसके अतिरिक्त, विद्युत कंपनियों को मुफ्त और रियायती दर पर बिजली देने के कारण 25 हजार करोड़ रुपये का अनुदान दिया जा रहा है।
सरकार की अन्य योजनाएं, जैसे स्कूटी, लैपटॉप, साड़ी, जूते और कन्यादान भी वित्तीय प्रबंधन को प्रभावित कर रही हैं। लाड़ली बहनों को सस्ता रसोई गैस सिलेंडर उपलब्ध कराने में भी लगभग 800 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। इन सभी योजनाओं के चलते हर साल करीब 50 हजार करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं।
राज्य का बजट 3.65 लाख करोड़ रुपये है और जैसे-जैसे बजट बढ़ रहा है, कर्ज का बोझ भी बढ़ता जा रहा है, जो इस समय चार लाख 22 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। हालांकि, सरकार कर्ज चुकाने की स्थिति में है और कभी भी किस्त चुकाने में कोई चूक नहीं हुई है।
वहीं, सरकार हर साल 25 से 30 हजार करोड़ रुपये कर्ज के ब्याज के रूप में चुका रही है। कर्ज के बढ़ते बोझ में मुफ्त योजनाओं का भी योगदान है, खासतौर से लाड़ली बहना योजना।
शिवराज सरकार ने विधानसभा चुनाव के दौरान इस योजना की शुरुआत की थी, जिसमें पहले लाड़ली बहनों को एक हजार रुपये प्रतिमाह दिए गए थे, जो बाद में बढ़ाकर 1,250 रुपये कर दिए गए। अब, इस राशि को बढ़ाकर 3,000 रुपये करने का ऐलान किया गया है और यह संभावना है कि आगामी बजट में राशि में और बढ़ोतरी की जाए।
इसके अलावा, राज्य सरकार रसोई गैस सिलेंडर पर 450 रुपये का रिफिल दर उपलब्ध करवा रही है, जिसमें अंतर की राशि सरकार के द्वारा अनुदान के रूप में दी जाती है।
सस्ती बिजली पर 25 हजार करोड़ रुपये का बोझ
अटल गृह ज्योति योजना के तहत एक करोड़ से अधिक विद्युत उपभोक्ताओं को 100 रुपये में 100 यूनिट बिजली मिल रही है। अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के किसानों को मुफ्त बिजली दी जा रही है। उद्योगों को भी रियायती दर पर बिजली मिल रही है, जिसके कारण विद्युत वितरण कंपनियों को होने वाले आर्थिक नुकसान की पूर्ति के लिए 25 हजार करोड़ रुपये का बजट रखा गया है।
सरकार की योजनाएं, जैसे स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा मेधावी विद्यार्थियों को स्कूटी और लैपटॉप देना, वनोपज संग्रहकर्ताओं को साड़ी और जूते देना, और सामूहिक विवाह कार्यक्रमों के तहत कन्यादान जैसी योजनाएं भी सरकारी वित्त प्रबंधन को प्रभावित कर रही हैं।
सोलर कृषि पंपों से बचत की योजना
सरकार धीरे-धीरे अनुदान के बोझ को कम करने के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग बढ़ा रही है। आने वाले पांच वर्षों में 30 लाख सोलर कृषि पंप देने की योजना बनाई गई है। इससे न केवल सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी पर खर्च कम होगा, बल्कि किसानों को अतिरिक्त आमदनी भी होगी, क्योंकि वे उत्पादित सौर ऊर्जा को सरकार को बेच सकेंगे।
यह भी पढ़िए : सोने की कीमतों में हुआ ये बड़ा बदलाव