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Sunday, November 24, 2024

वर्दी में घूम रही थी नकली एएसपी, ऐसे खुली पोल

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भोपाल। राजधानी के न्यू मार्केट में फर्जी आईपीएस बनकर घूम रही एक युवती को टीटी नगर थाना पुलिस ने पकड़ा है। इंदौर की यह युवती एडिशनल एसपी की वर्दी में अपने भाई के साथ न्यू मार्केट में घूम रही थी। इस दौरान उसने वहां नियमित गश्त कर पुलिस कर्मियों पर रौब जमाने की कोशिश की। पुलिस कर्मियों को शक हुआ तो पूछताछ में युवती के फर्जीवाड़े की पोल खुल गई।

बताया जा रहा है कि इंदौर की 28 वर्षीय शिवानी चौहान न्यू मार्केट में अपना रौब जमाने में कामयाब हो गई थी। इसी दौरान उसे वहां खड़े पुलिसकर्मी दिख गए। साथ आए भाई-भाभी को वर्दी का असर दिखाने के लिए वह पुलिस वालों के पास गई और भौंरी का रास्ता पूछने लगी। पुलिस वाले पहले तो एक एएसपी रैंक की अफसर को इस तरह देखकर चौंके, फिर उनका ध्यान युवती की वर्दी के साथ लगे नेमप्लेट पर गया।
वर्दी पर लगी नेमप्लेट पर उसके नाम के साथ नंबर लिखे हुए थे। ऐसा नंबर अक्सर आरक्षक-प्रधान आरक्षक श्रेणी के पुलिस कर्मियों के नेमप्लेट पर लिखा जाता है। यह उनका रेजिमेंटल नंबर होता है, जिससे पुलिस लाइन में आरक्षक की पहचान होती है। अधिकारियों के नेम प्लेट पर इस तरह का नंबर नहीं लिखा जाता।

पुलिस कर्मियों ने उससे उसका बैच, प्रशिक्षण, भोपाल के वरिष्ठ अधिकारियों के नाम आदि पूछने शुरू किये तो वह घबरा गई। पुलिस उसे गिरफ्तार कर थाने लाई, जहां निजी मुचलके पर जमानत देकर रिहा कर दिया गया। पुलिस ने उस पर लोक सेवक की वर्दी पहनकर खुद को आईपीएस दिखाने के अपराध में मामला दर्ज किया है। यह अपराध साबित हुआ तो उसे अधिकतम तीन महीने की जेल और पांच हजार रुपये तक जुर्माने की सजा हो सकती है।

पुलिस को सुनाई भावुक कहानी

पुलिस की पूछताछ में नकली आईपीएस बनी शिवानी चौहान ने बताया कि मैं कई वर्षों से यूपीएससी की तैयारी कर रही थी। मेरी मां चाहती थी कि मैं बड़ी अधिकारी बनूं। फिलहाल वे बीमार हैं और उन्हें खुश करने के लिए ही मैंने बोल दिया था कि मेरा चयन हो गया है और मैं आईपीएस बन गई हूं। इसके लिए इंदौर में वर्दी सिलवाई, बेल्ट-बूट लिया, यूट्यूब पर आईपीएस के वीडियो देख-देखकर एएसपी की रैंक और बैज आदि लगाये।
पुलिस के अनुसार 28 वर्षीय शिवानी चौहान इंदौर में एमआईजी थाना क्षेत्र के एमआर-9 में परिवार के साथ रहती है। युवती ने बताया कि उसके पिता देशराज सिंह चौहान नगर निगम की उद्यानिकी शाखा में हैं। वह पिछले करीब छह वर्षों से यूपीएससी की तैयारी कर रही थी।
उसने 2018 और 2019 में परीक्षा भी दी थी, लेकिन चयन नहीं हो सका था। शुक्रवार को मीटिंग के लिए कहकर भोपाल आई थी। उसका मौसेरा भाई भी उसके साथ था, इसलिए वह रौब दिखाना चाहती थी और इसी चक्कर में उसकी पोल खुल गई।

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