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Saturday, November 16, 2024

एक दर्जन गांवों के किसान चढ़े हाई टेंशन लाइन पर, ये है मामला

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सतना।सतना के उचहेरा तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत धनेह के पास मढऊ गांव में दर्जनभर किसान बीते चार दिनों से हाईटेंशन टावर में चढ़े हुए हैं, लेकिन अभी तक उनकी मांगें पूरी नहीं की गई है। इसके चलते किसान जिंदगी और मौत से जूझता हुआ नजर आ रहा है। प्रशासन द्वारा उन्हें आश्वासन के झूले में झुलाया जा रहा है। अपनी जमीनों पर पावर ट्रांसमिशन कंपनी द्वारा पावर ग्रिड के लिए लगाए गए टावर और खींची गई बिजली लाइनों का उचित मुआवजा देने की वर्षों से मांग करे किसान एक साल में पांचवी बार टावर पर चढ़े हैं। भीषण गर्मी में और तपती धूप के बीच बीते एक माह से अनशन पर बैठे किसानों का जब सब्र जवाब दे गया तो वे 20 मई को फिर टावर पर चढ़ गए और जमीन के हक के लिए मुआवजे की मांग करते रहे। लगभग एक दर्जन गांवों के किसान इस प्रदर्शन में शामिल हैं। आज सोमवार को चार दिन हो गए हैं और आंधी बारिश के बीच भी कई किसान जान जोखिम में डालकर टावर पर खटिया टांगकर बैठे हुए हैं। स्थिति नाजुक बनती जा रही है और अंदर ही अंदर एक उग्र प्रदर्शन की रूपरेखा की सुगबुगाहट हो रही है, लेकिन पावर ग्रिड भी अपनी जिद पर अड़ा है और किसानों को मुआवजा नहीं देने हाईकोर्ट से स्टे ले रखा है। स्थिति यह हो गई कि जिला प्रशासन भी किसानों को टावर से नीचे नहीं उतार पा रहा है। वहीं सतना कलेक्टर अऩुराग वर्मा ने भी नियमानुसार प्रावधान के तहत ही निर्णय लेने कहा है और कहा है कि किसानों को नीचे उतारने का प्रयास जारी है।

 

उचेहरा तहसील के कई गांवों में यही स्थिति है, जहां के किसानों का आरोप है कि उनके खेतों में बिजली कंपनी ने बड़े-बड़े टावर लगाकर बिजली लाइन खींची है जिसके मुआवजा राशि के लिए उन्होंने पहले एसडीएम और उसके बाद कलेक्टर को भी आवेदन दिया था। इस मामले में एसडीएम और कलेक्टर न्यायालय ने मुआवजा जारी करने आदेश भी दे दिया था, जिसका आदेश किसानों के पास है, लेकिन बिजली कंपनी द्वारा किसानों को वर्षों से चक्कर कटवाए जा रहे हैं और उन्हें अब तक मुआवजा नहीं दिया है और किसी न किसी रूप में बहाना बना दिया जाता है। वहीं किसानों की मांग है कि उन्हें 12 लाख रुपये प्रति टावर व तीन हजार रुपये प्रति रनिंग मीटर की दर से तार बिछाए जाने की मुआवजा राशि दी जाए। हाईटेंशन टावर लाइन के अंदर आने वाले किसानों के जमीन, मकान, बोर, कुआं सभी का सर्वे फिर से कराया जा रहा है। इस आशय का आदेश अनुविभागीय अधिकारी उचेहरा हेम करण धुर्वे द्वारा दिया गया है और उनकी टीम के द्वारा सर्वे भी किया जा रहा है। हालांकि रविवार को किसानों को मनाने के लिए एसडीएम उचेहरा के अलावा अन्य निचले स्तर के आला अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। मगर किसान केवल मुआवजा राशि की बात कर रहे थे और यह राशि तत्काल दिलाई जाने पर अड़े रहे। लेकिन प्रशासन केवल आश्वासन ही देता रहा। किसानों का आरोप है कि प्रशासन उन्हें वर्षों से आश्वासन दे रहा है लेकिन इस बार उनकी नहीं चलेगी।

 

इस पूरे मामले में नया पेंच फंसता नजर आ रहा है। किसानों से चर्चा करने और उनका प्रदर्शन समाप्त कराने विगत दिनों मौके पर पहुंचे अपर कलेक्टर राजेश शाही ने इस पूरे मामले को हल करने के लिए मौके पर ही पावर ग्रिड प्रबंधन को बुलवाया और मुआवजा नहीं देने का कारण पूछा। जिसके बाद पावर ग्रिड प्रबंधन ने जिला प्रशासन को भी सीधे कह दिया कि भले ही किसानों के पास 12 लाख रुपये प्रति टावर मुआवजा देने के आदेश हों लेकिन वे किसानों को मुआवजा नहीं देंगे क्योंकि उनके पास हाईकोर्ट से इसका स्टे आर्डर है। पावर ग्रिड के अधिकारियों को अपर कलेक्टर राजेश शाही ने भी खरी कोटी सुनाई और कहा कि आप लोगों की वजह से जिला प्रशासन पिस रहा है और यहां स्थिति नाजुक बनी हुई है। किसान भी जब अपने में अड़े रहे थो थक हारकर अपर कलेक्टर भी मौके से चले गए लेकिन किसान तब से लेकर अब तक चार दिनों बाद भी टावर पर ही चढ़े हैं। इनमें कई गांवों की महिलाएं भी शामिल हैं।

प्रशासन के द्वारा लगातार आश्वासन दिए जा रहे हैं। मगर जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं किया गया है। जिससे हम लोगों को कई बार आंदोलन करना पड़ रहा है। हर बार आश्वासन ही मिल रहा है। किसानों के लिए यह बहुत सोचनीय विषय हो गया है कि हमारी जमीन का हक हमें नहीं मिल पा रहा है। हमारी जमीनों में मनमानी तरीके से टावर गाड़ दिए गए हैं। इसके बावजूद भी प्रशासन मुआवजा नहीं दिलवा पा रहा है। किसानों की मांग को लेकर धरना चल रहा है और दर्जनभर किसान टावर में चढे हुए हैं। लेकिन अभी तक प्रशासन के द्वारा कारगर पहल नहीं की गई है।

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