मंडीदीप। बदलते मौसम से अन्नदाताओं के चेहरे से रौनक गायब हो गई है। इन दिनों सामान्य से अधिक तापमान के से किसान परेशान है। मौसम का मिजाज फसलों की सेहत पर भारी पड़ रहा है। किसानों के चेहरे मुरझाए नजर आ रहे है। बीते साल फरवरी के अंतिम सप्ताह एवं मार्च के प्रथम हफ्ते तक मौसम का रुख इतना नही बिगड़ा था, जितना बीते 12 दिनों से बिगड़ रहा है।
वर्तमान में गेहूं का रकबा क्षेत्र में 35 हजार हेक्टेयर है। यह पिछले सीजन से अधिक है। मानसून की अच्छी वर्षा से मिट्टी में पर्याप्त नमी और पूरे सीजन अच्छी ठंड के चलते खेतों में खड़ी गेहूं में कही बालियां निकल रही है तो कही गबोट पर है। ऐसे में गर्मी के तेवर तीखे होने से पैदावार में कमी की आशंका है। नयापुरा मेवाती के उन्नत कृषक मुनव्वर पटेल बताते हैं कि तापमान के बढ़ने से फसल की कम होने का खतरा मंडराने लगा है। सतलापुर के किसान राकेश लौवंशी कहते है इस साल की जनवरी जहां सबसे ठंडी रही, वहीं फरवरी सबसे गर्म होने से फसलों की सेहत पर असर पड़ रहा है।
खेतो में खड़ी अधपकी फसल बढ़ते तापमान से कहीं-कहीं मुरझा रही है। किसान खेतो में नमी बनाए रखने के लिए बीस से पच्चीस दिन के अंतराल में सिंचाई करते थे जो अब 15 से 20 दिन के बीच कर रहे हैं। उन्हें भय है कि गर्मी से दाने पतले हो जाएंगे। पूर्व कृषि विस्तार अधिकारी डीएस भदौरिया बताते है की गेंहू की फसल के लिए आदर्श तापमान अलग-अलग है। रायसेन जिले में 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए। तापमान का प्रभाव गेंहू की फसल पर पड़ने से दाने पतले होंगे। रायसेन जिला प्रदेश में धान एवं गेंहू उत्पादन के लिए जाना जाता है। अन्नदाताओं ने धान के बाद गेंहू की बोवनी की थी जिसमें देरी होने से उत्पादन प्रभावित होगा, वहीं रही सही कसर बढ़ते तापमान ने पूरी कर दी। जहां पर गेहूं की उपज तैयार है और गेहूं में इसका प्रभाव देखने को मिलेगा।