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Thursday, November 14, 2024

पिता की हार्ट अटैक से मौत, बेटा बॉडी घर पर छोड़कर एक्जाम देने पहुंचा

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देवास। देवास में एक हृदय विदारक घटना घटी है। रात में पिता की हार्ट अटैक से मौत हो गई। इसके बाद भी बेटा सुबह परीक्षा देने सेंटर पर पहुंचा। उसने यहां पेपर दिया फिर घर लौटा और फिर पिता का अंतिम संस्कार किया। पूछने पर इतना ही कहा- दिल पर पत्थर रखकर पिता का सपना पूरा करने गया था। देवास के आवास नगर में रहने वाले जगदीश सोलंकी की बुधवार देर रात हार्ट अटैक से मौत हो गई। वे नगर निगम में प्रभारी सहायक राजस्व निरीक्षक थे। परिवार में पत्नी के अलावा चार बेटियों और एक बेटा है। बेटियों की शादी हो चुकी है, जबकि सबसे छोटा बेटा देवेंद्र माउंट हायर सेकेंडरी स्कूल में 12वीं का छात्र है।

 

गणित संकाय से 12वीं कर रहे देवेंद्र का गुरुवार को हिंदी विषय का पेपर था। वह पढ़ाई में जुटा हुआ था। रात 12 बजे पिता को सीने में दर्द उठा। वह कमरे से बाहर आया तो पिता की हालत ठीक नहीं थी। कुछ देर बाद पिता के शरीर ने हरकत करना बंद कर दिया। वे उन्हें अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। पिता की घर पर बॉडी रखी हुई थी और उधर देवेंद्र के पेपर का समय हो रहा था। उसने इत दुख की घड़ी में पेपर देने का निर्णय लिया।

 

छात्र देवेंद्र ने कहा- पिता जी का बुधवार रात काे हार्ट अटैक से निधन हो गया था। सुबह मेरा 12वीं का पेपर था। पिता का सपना था कि मैं एक्जाम अच्छे से दूं और अच्छे नंबरों से पास होऊं। पिता के सपने को ही पूरा करने के लिए दिल पर पत्थर रखकर एक्जाम सेंटर में दाखिल हुआ। पिताजी चाहते थे कि मैं आर्मी में या सिविल सर्विसेस में जाऊं। पेपर अच्छा गया है। आगे कैसे होगा, इस बारे में तो कुछ नहीं पता, लेकिन जो भी होगा, देखा जाएगा। बस अपने दूसरे साथियों का यही कहना चाहूंगा कि विपत्ति कितनी भी आए, उसका डंटकर सामना करो। पढ़ाई को भी अहमतियत देना बहुत जरूरी है।

 

दोस्त अमन पांचाल ने बताया कि रात साढ़े 12 बजे अंकल की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। रात करीब 2 बजे दोस्त का कॉल आया और उसे जानकारी दी। इसके बाद हम सुबह उसे लेकर स्कूल पहुंचे और उसने पेपर दिया। पेपर खत्म होने के बाद हम सीधे घर पहुंचे और फिर अंतिम संस्कार हुआ।

 

बीसीएम स्कूल के केंद्राध्यक्ष सुनील पटेल ने बताया कि देवेंद्र गणित विषय का छात्र है। पिता की मौत के बाद भी वह सुबह परीक्षा देने पहुंचा था। माध्यमिक शिक्षा मंडल के ऐसे निर्देश हैं कि परीक्षा शुरू होने के दो घंटे बाद हम परीक्षार्थी को एक्जाम सेंटर से बाहर जाने दे सकते हैं। इस कारण हमने 11 बजे परीक्षा देने के बाद उसे छोड़ दिया था।मानवता के नाते हमने यह काम किया। उसने अच्छे से पेपर हल किया। यह अन्य बच्चों के लिए एक उदाहरण है। बच्चे के चेहरे से ऐसा लग रहा था कि कुछ हुआ है। पुलिसकर्मी ने हमें इन अनहोनी के बारे में बताया। इसके बाद हमने उसे दो घंटे पहले जाने देने का फैसला लिया।

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