इंदौर। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के इंदौर दौरे के दौरान एक भुट्टा बेचने वाली बुजुर्ग महिला सुमन पाटीदार के साथ हुई मुलाकात ने न केवल स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली को सवालों के घेरे में डाला है, बल्कि सरकारी सिस्टम की असफलता को भी उजागर किया है। 21 जुलाई को इंदौर के रामचंद्र नगर में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सड़क किनारे भुट्टा बेच रही सुमन पाटीदार से मुलाकात की थी। इस दौरान सुमन ने मुख्यमंत्री को अपने घर की बिजली और पानी की समस्याओं के बारे में बताया। मुख्यमंत्री ने तत्काल निर्देश दिए कि इन समस्याओं का समाधान किया जाए। लेकिन इसके बावजूद, सरकारी सिस्टम ने मुख्यमंत्री के वादे को नकारते हुए सुमन की समस्याओं को अनसुलझा छोड़ दिया।
मंगलवार को सुमन पाटीदार ने अपनी शिकायत लेकर कलेक्टर आशीष सिंह के पास जनसुनवाई में भाग लिया। सुमन ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री की मुलाकात के बाद नगर निगम और बिजली विभाग के अधिकारियों ने उनके घर का पानी कनेक्शन देने से मना कर दिया और बिजली कनेक्शन को भी अवैध घोषित कर दिया। इसके चलते उनका बिजली कनेक्शन काट दिया गया और वे पिछले 25 दिनों से अंधेरे में रह रही हैं।
सुमन ने रोते हुए कहा कि मुख्यमंत्री की मुलाकात के बाद उनकी स्थिति और भी खराब हो गई है। उन्होंने बताया कि उनका पति और बेटा दोनों ही अब जीवित नहीं हैं और वे अपने नाती के साथ रह रही हैं। सुमन की समस्याओं का समाधान न हो पाने के कारण वे काफी परेशान हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की इंदौर यात्रा के दौरान हुई इस मुलाकात को बड़े पैमाने पर प्रचारित किया गया। मुख्यमंत्री के भुट्टा खाने की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए और अधिकारियों ने इसका प्रचार भी किया। हालांकि, इस प्रचार के बावजूद सुमन की समस्याएं जस की तस बनी रहीं और मुख्यमंत्री के आदेशों के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
इस मामले पर विद्युत विभाग की ओर से सफाई दी गई है। विभाग ने कहा कि रामचंद्र नगर में बिजली कनेक्शन सुमन पाटीदार के नाम से नहीं, बल्कि आशीष कैलाश चंद्र सोनी के नाम से जारी था। जुलाई में स्थायी कनेक्शन काटने के लिए आवेदन दिया गया था, इसलिए कनेक्शन को काटा गया। मंगलवार को जनसुनवाई में आए आवेदन के बाद कुछ दिनों के लिए कनेक्शन फिर से जोड़ दिया गया है। विभाग ने कहा कि कनेक्शन धारक सोनी और उपयोगकर्ता सुमन पाटीदार के बीच बातचीत के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
आपको बतादें कि सुमन पाटीदार की यह स्थिति सरकारी सिस्टम की निष्क्रियता और गैर-प्रभावशीलता को दर्शाती है। मुख्यमंत्री द्वारा किए गए वादे और आदेशों को प्रशासनिक स्तर पर सही तरीके से लागू न किया जाना, स्थानीय निवासियों की समस्याओं को बढ़ा सकता है। सुमन की समस्याओं का समाधान न होने से यह सवाल उठता है कि क्या सरकारी आदेश और वादे वास्तव में प्रभावी होते हैं या केवल दिखावे के लिए होते हैं।