ग्वालियर। मध्य प्रदेश में सरकार द्वारा-संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने वाली महिलाओं को जननी सुरक्षा योजना के तहत शहरी क्षेत्र की प्रसूता को एक हजार रुपए और ग्रामीण क्षेत्र की प्रसूता को 1400 रुपए देती है। वहीं मजदूरी कार्डधारी प्रसूता सहायता योजना के तहत 16 हजार रुपए दिए जाते हैं। लेकिन बीते लगभग पांच माह से इसका बजट नहीं भेजा है। इस कारण से प्रसूताओं को इन योजनाओं की राशि नहीं मिल पा रही है ओर राशि के लिए प्रसूताएं अस्पतालों के चक्कर काट रही हैं। जबकि 325 प्रसूताओं सीएम हेल्पलाइन में भी शिकायत की है।
प्रदेश सरकार की जननी सुरक्षा योजना, और प्रसूता सहायता योजना के तहत प्रसूताओं को मिलने वाली राशि बीते पांच माह से अधिक भी जाने के बाद भी नहीं मिली है। सरकार की लेटलतीफी के चलते करीब 325 प्रसूताओं की शिकायत सीएम हेल्पलाइन में अब तक हो चुकी है, लेकिन समस्या का निराकरण नहीं हुआ है प्रसूता ओर उनके परिजन का कहना है कि अस्पताल और संबंधित विभाग के अधिकारियों के चक्कर काट-काट परेशान हो चुके हैं लेकिन राशि नहीं मिली
वहीं शिकायतों का जवाब दे-देकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी परेशान हैं ओर शिकायतों का समाधान करने के लिए जिम्मेदार अधिकारी सिर्फ यही जानकारी दे रहे हैं कि पिछले दो-ढाई माह से जननी सुरक्षा योजना और प्रसूता सहायता योजना का पोर्टल काम नहीं कर रहा है। हमने वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करा दिया है। जिनका साल भर पुराना मामला है वह किसी कारण से रिजेक्ट हो चुका होगा।
लेकिन माना जा रहा है कि शिवराज सिंह चौहान सरकार की लाडली बहना योजना के चलते प्रदेश सरकार आर्थिक संकट में चल रही है और प्रसूता को मिलने वाली सहायता के अलावा डायल 100 (एफआरवी) के कर्मचारी भी तीन माह से बिना वेतन के काम कर रहे हैं। प्रदेश में लगभग एक हजार एफआरवी पर तीन हजार कर्मचारी (चालक) तैनात हैं। इन कर्मचारियों को अक्टूबर माह से वेतन नहीं मिला है। ग्वालियर में 45 एफआरवी वाहनों पर 135 कर्मचारियों तैनात हैं। इस संबंध में अधिकारियों का कहना है कि भोपाल से बजट न आने के कारण वेतन का भुगतान नहीं हो सका है।