देश। मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Corona के बारे में कहा की कोरोना काल में दुनिया परिवर्तन के दौर से गुजर रही है। हम लोककथाएं बहुत कुछ सीखती है। कथाएं बच्चो को कैसे सिखाये, उनको कथाओं की जानकारी दे। कहानियो के लिए समय निकाले, रोज या हफ्ते में 1 कहानी परिवार में जरूर सुनाये। कहानी कहने की कला देश में और मजबूत हो। माली के शिक्षक सेतु रेडियो में काम करते है, वो रोज एक कार्यक्रम करते है जिसमे वो बॉलीवुड गाने और कहानियां सुनते है। वो पिछले कई सालो से ऐसा करते आ रहे है। उनका भारत के लिए इतना प्रेम इसलिए भी है क्योकि उनका जन्म 15 अगस्त को हुआ था। मोदी जी ने तेनाली रामन और उनके राजा की एक कहानी भी सुनाई।
भारत में रही है कहानिओ की परंपरा
“कहानियों का इतिहास उतना ही पुराना है जितनी कि मानव सभ्यता। कहानियां, लोगों के रचनात्मक और संवेदनशील पक्ष को सामने लाती हैं, उसे प्रकट करती हैं। कहानी की ताकत को महसूस करना हो तो जब कोई माँ अपने छोटे बच्चे को सुलाने के लिए या फिर उसे खाना खिलाने के लिए कहानी सुना रही होती है तब देखें। मैं अपने जीवन में बहुत लम्बे अरसे तक एक परिव्राजक के रूप में रहा। घुमंत ही मेरी जिंदगी थी। हर दिन नया गांव, नए लोग, नए परिवार। साथियों, भारत में कहानी कहने की, या कहें किस्सागोई की, एक समृद्ध परंपरा रही है।”
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तमिलनाडु के ‘विल्लू पाट’ का किया जिक्र
“हमें गर्व है कि हम उस देश के वासी है, जहां हितोपदेश और पंचतंत्र की परंपरा रही है। जहां कहानियों में पशु-पक्षियों और परियों की काल्पनिक दुनिया गढ़ी गई, ताकि विवेक और बुद्धिमता की बातों को आसानी से समझाया जा सके। तमिलनाडु और केरल में कहानी सुनाने की बहुत ही रोचक पद्धति है। इसे ‘विल्लू पाट्’ कहा जाता है। इसमें कहानी और संगीत का बहुत ही आकर्षक सामंजस्य होता है। हमारे यहां कथा की परंपरा रही है। ये धार्मिक कहानियां कहने की प्राचीन पद्धति है । इसमें ‘कताकालक्षेवम्’ भी शामिल रहा। हमारे यहां तरह-तरह की लोक-कथाएं प्रचलित हैं।”
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‘परिवार का हर सदस्य सुनाए एक कहानी’
“हम कथा-शास्त्र को और अधिक कैसे प्रचारित करें, पॉपुलर करें, और, हर घर में अच्छी कथा कहना, अच्छी कथा बच्चों को सुनाना, ये जन-जीवन की बहुत बड़ी क्रेडिट हो। ये वातावरण कैसे बनाएं, उस दिशा में हम सबने मिल करके काम करना चाहिए। मैं, ज़रूर आपसे आग्रह करूंगा, परिवार में, हर सप्ताह, आप, कहानियों के लिए कुछ समय निकालिए। आप देखिये कि, परिवार में कितना बड़ा खजाना हो जाएगा, रिसर्च का कितना बढ़िया काम हो जाएगा, हर किसी को कितना आनंद आएगा और परिवार में एक नयी प्राण, नयी उर्जा आएगी।”
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माली में हिंदुस्तानी संस्कृति के झंडाबरदार से कराया परिचय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माली में रहने वाले सेदू देमबेले से भी परिचय कराया। पीएम ने कहा, “माली, भारत से दूर, पश्चिम अफ्रिका का एक बड़ा और लैंडलॉक्ड देश है। सेदू देमबेले, माली के एक शहर, कीटा के एक पब्लिक स्कूल में शिक्षक हैं, वे, बच्चों को इंग्लिश, म्यूजिक और पेंटिंग पढ़ाते हैं, सिखाते हैं। लेकिन उनकी एक और पहचान भी है – लोग उन्हें माली के हिंदुस्तान का बाबू कहते हैं, और, उन्हें ऐसा कहलाने में बहुत गर्व की अनुभूति होती है। प्रत्येक रविवार को दोपहर बाद वे माली में एक घंटे का रेडियो कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं, इस कार्यक्रम का नाम है ‘इंडियन फ्रीक्वेंसी ऑन बॉलिवुड सॉन्ग्स’, इसे वे पिछले 23 वर्षों से प्रस्तुत करते आ रहे हैं। भारत से उनके गहरे जुड़ाव की एक और वजह ये भी है, कि, उनका जन्म भी 15 अगस्त को हुआ था । सेदू जी ने दो घंटे का एक और कार्यक्रम अब प्रत्येक रविवार रात 9 बजे शुरू किया है, इसमें वे बॉलीवुड की एक पूरी फिल्म की कहानी फ्रेंच और बमबारा में सुनाते हैं।”
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कृषि सुधारों पर इशारों में रखी बात
केंद्र सरकार हाल ही में कृषि से जुड़े तीन विधेयक लेकर आई है जिसका भारी विरोध हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मन की बात’ में किसान के अनुभवों को साझा करते हुए नए प्रावधानों के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “मुझे कई ऐसे किसानों की चिट्ठियां मिलती हैं, किसान संगठनों से मेरी बात होती है, जो बताते हैं कि कैसे खेती में नए-नए आयाम जुड़ रहे हैं, कैसे खेती में बदलाव आ रहा है। हरियाणा के सोनीपत जिले के हमारे एक किसान भाई श्री कंवर चौहान जी हैं। उन्होंने बताया है कि कैसे एक समय था जब उन्हें मंडी से बाहर अपने फल और सब्जियां बेचने में बहुत दिक्कत आती थी। अगर वो मंडी से बाहर, अपने फल और सब्जियां बेचते थे, तो, कई बार उनके फल, सब्जी और गाड़ियां तक जब्त हो जाती थी। लेकिन, 2014 में फल और सब्जियों को एपीएमसी ऐक्ट से बाहर कर दिया गया, इसका, उन्हें और आस-पास के साथी किसानों को बहुत फायदा हुआ। आज, श्री कंवर चौहान जी और उनके गांव के किसान स्वीट कॉर्न और बेबी कॉर्न की खेती से, ढ़ाई से तीन लाख प्रति एकड़ सालाना कमाई कर रहे हैं।”
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‘पूरे देश के किसानों को ताकत मिली’
“इन किसानों के पास क्या अलग है। अपने फल-सब्जियों को, कहीं पर भी, किसी को भी, बेचने की ताकत है, और ये ताकत ही, उनकी, इस प्रगति का आधार है। अब यही ताकत, देश के दूसरे किसानों को भी मिली है। साथियों, तीन–चार साल पहले ही, महाराष्ट्र में, फल और सब्जियों को APMC के दायरे से बाहर किया गया था। इस बदलाव ने कैसे महाराष्ट्र के फल और सब्जी उगाने वाले किसानों की स्थिति बदली, इसका उदाहरण हैं, श्री स्वामी समर्थ फार्मर्सस प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड… ये किसानों का समूह है। पुणे और मुंबई में किसान साप्ताहिक बाज़ार खुद चला रहे हैं। इन बाज़ारों में, लगभग 70 गांवों के, साढ़े चार हज़ार किसानों का उत्पाद, सीधे बेचा जाता है – कोई बिचौलिया नहीं। ग्रामीण-युवा, सीधे बाज़ार में, खेती और बिक्री की प्रक्रिया में शामिल होते हैं – इसका सीधा लाभ किसानों को होता है, गांव के नौजवानों को रोजगार में होता है।”
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