मध्य प्रदेश | युवक कांग्रेस के चुनाव के तीन दिन बाद भी रिजल्ट घोषित नहीं हुआ है। इससे चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो गए हैं और कार्यकर्ताओं में आक्रोश है। प्रदेश के कई जिलों से पार्टी के नेता राहुल गांधी को शिकायतें भेजी जा रही हैं। इनमें आरोप है कि वोटिंग के बाद नए नियम जारी किए गए। यह नियम सोमवार सुबह 9 बजे डीआरओ ने सोशल मीडिया पर जारी किए गए हैं। चुनाव से पहले तक सदस्य बनाए गए, लेकिन 2018 की वोटर लिस्ट के आधार पर ऑनलाइन वोटिंग करा दी गई। 27 फरवरी 2020 को ऑनलाइन मेंबरशिप शुरू की गई, जिसकी फीस 125 रुपए प्रति सदस्य ली गई थी।
शिकायत में कहा गया है कि प्रदेश के बड़े नेता अपने चहेतों को युवक कांग्रेस में पद दिलाना चाहते हैं। ऑनलाइन इलेक्शन में फर्जीवाड़ा होने की सबसे बड़ी वजह है। राहुल गांधी ने ‘नेता बनो- नेता चुनो’ के कॉन्सेप्ट को लेकर युवाओं को पार्टी से जोड़ने के लिए चुनाव कराए, लेकिन उनकी इस सोच को पलीता लगता दिख रहा है। मध्य प्रदेश में युवक कांग्रेस के चुनाव 6 साल बाद हुए। इसके लिए 10, 11 और 12 दिसंबर को ऑनलाइन वोटिंग हुई। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम से वोटिंग कराए जाने से हर जिले में सैकड़ों सदस्य वोट नहीं डाल पाए या फिर उनका वोट रद्द हो गया।
चुनाव के तरीके को लेकर सबसे बड़ा सवाल यह है कि वोटिंग के बाद दिशा-निर्देश जारी क्यों किए गए। नए नियमों के अनुसार एक वोट के रद्द होने के केस में वह वोट सभी कमेटियों के परिणाम से हटा दिया जाएगा। इसका मतलब है कि एक सदस्य द्वारा डाले गए सभी 5 वोट अमान्य हो जाएंगे। चुनाव में मात्र 1.10 लाख सदस्यों ने वोटिंग की, जबकि मप्र में वोटर 3.5 लाख हैं। आरोप लगाया गया है कि यह संभव नहीं है कि इतनी कम वोटिंग हुई हो।
त्रिपाठी ने दर्ज कराई है आपत्ति
प्रदेश अध्यक्ष पद के उम्मीदवार विवेक त्रिपाठी ने वोटिंग के बाद नियम जारी करने को लेकर चुनाव प्रभारी के समक्ष लिखित आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने कहा है कि नियम पहले जारी किए जाना चाहिए थे। वोटिंग होने के तीन दिन बाद नियम जारी होना कोई सुनियोजित एजेंडा का हिस्सा है।
पार्टी सूत्रों ने बताया अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार विक्रांत भूरिया दिल्ली में लॉबिंग करने पहुंच गए हैं। दावा किया जा रहा है कि विक्रांत ने सोमवार को एआईसीसी दफ्तर में कई पदाधिकारियों से मुलाकात की है। दरअसल, इस चुनाव में फर्जी वोटिंग की आशंका जताई गई है। विक्रांत ने वोटिंग के बाद गाइडलाइन जारी होने को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर की है। इसमें उन्होंने कहा है कि रिजेक्शन की गाइडलाइन वोटिंग से पहले जारी होना चाहिए थी, जिससे कोई भी उम्मीदवार गलती करने से बचता। चुनाव के बाद निर्देश निकालना गलत है।
ये वोट हो जाएंगे रद्द
- अस्पष्ट फोटो (धुंधली फोटो, चेहरे पर मास्क, चेहरा छुपा हुआ)
- ग्रुप फोटो (फ्रेम में एक से ज्यादा लोगों की उपस्थिति)
- एक से ज्यादा बार इस्तेमाल/दोहराई गई फोटो।
- हार्ड कॉपी या सॉफ्ट कॉपी फोटोग्राफ का फोटो।
- एक IMEI पर निर्धारित से अधिक संख्या के प्रयास वाले वोट।
- ऐसे मामले जहां राज्य और जिला के दो उम्मीदवारों के बीच वोटों की संख्या 50 वोट से कम हो रद्द हुए वोट के खिलाफ आपत्ति का संज्ञान लिया जाएगा।
- रद्द हुए वोट के खिलाफ आपत्ति करने वाले उम्मीदवार को ऊपर दिए गए मानक के आधार पर रेंडम रद्द वोट दिखलाए जाएंगे।
- रद्द किए गए कुल वोट का 10% शिकायतकर्ता के सामने सत्यापित किया जाएगा।
हाई कमान ने युवक कांग्रेस संगठन में प्रभावी सुधारों के लिए चुनाव प्रक्रिया लागू की गई। ताकि निष्पक्ष तरीके से युवाओं को राजनीति में आने का मौका मिले। मप्र एक मात्र राज्य है, जहां युवक कांग्रेस के चुनाव लगातार टाले गए। मप्र को छोड़कर हर राज्य में हर 3 साल में चुनाव हुए, लेकिन मप्र में 2013 के बाद अब चुनाव कराए गए हैं।
युवक कांग्रेस चुनाव को लेकर जिस तरह से कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखी जा रही है। इससे साफ है कि नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस को इसका नुकसान हो सकता है, क्योंकि चुनाव प्रक्रिया में धांधली को लेकर प्रदेश के लगभग हर जिले में युवक कांग्रेस कार्यकर्ताओं में रोष देखा जा रहा है।