उज्जैन। महाकाल की नगरी उज्जैन में सिंहस्थ 2028 की तैयारियां जोरों पर हैं। इसके तहत शिप्रा नदी के जल को स्वच्छ करने के लिए कान्ह क्लोज डक्ट परियोजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत जमीन के अंदर टनल बनाकर कान्ह नदी के दूषित जल को डायवर्ट किया जाएगा, ताकि शिप्रा नदी में गंदा पानी न मिले और उसका जल स्वच्छ बना रहे।
शिप्रा नदी को स्वच्छ करने की अनोखी परियोजना
कान्ह नदी के प्रदूषित जल के कारण शिप्रा नदी सबसे ज्यादा दूषित होती है। इसे रोकने के लिए 1650 करोड़ रुपये की दो बड़ी परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। कान्ह क्लोज डक्ट परियोजनाके तहत गंदे पानी को 30 किलोमीटर दूर गंभीर नदी के डाउनस्ट्रीम में छोड़ा जाएगा, जिससे शिप्रा निर्मल बनी रहेगी।
देश की पहली अनूठी परियोजना
यह भारत की पहली परियोजना है, जिसमें भूमिगत टनल बनाकर एक नदी को दूसरी नदी से जोड़ा जा रहा है। कान्ह डक्ट की कुल लंबाई 30.15 किमी होगी, जिसमें
– 12 किमी लंबी टनल100 फीट गहराई में बनाई जा रही है, जो मालपुरा गांव से सिंगावदा के पास गंभीर नदी तक पहुंचेगी।
– 18.15 किमी की कट एंड कवर तकनीक का उपयोग किया जाएगा, जिसमें जमीन के अंदर नहर बनाकर उसे सीमेंट ब्लॉक से ढका जाएगा।
इससे कान्ह नदी का दूषित पानी शिप्रा में नहीं पहुंचेगा, और सिंहस्थ कुंभ 2028 में संतों और श्रद्धालुओं को स्नान के लिए शुद्ध जल उपलब्ध होगा। परियोजना का कार्य 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
विशाल टनल की खासियत
यह टनल इतनी बड़ी होगी कि बड़े डंपर इसके अंदर जाकर सफाई कर सकेंगे। सबसे अहम बात यह है कि टनल भूमिगत होने के कारण किसान इसकी सतह पर फसल उगा सकेंगे, जिससे खेती पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
शिप्रा नदी में जल प्रवाह बनाए रखने की योजना
इसके अलावा, शिप्रा नदी के जल प्रवाह को बनाए रखने के लिए सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना भी चल रही है। इसके तहत सेवरखेड़ी बैराज से पानी लिफ्ट कर सिलारखेड़ी डैम में डाला जाएगा, जिससे शिप्रा में जल प्रवाह लगातार बना रहे।