ग्वालियर : किसी जमाने मे एकदूसरे के धुर विरोधी रहे जयभान सिंह पवैया और राज्यसभा सासंद ज्योतिरादित्य सिंधिया की शुक्रवार को अहम मुलाकात हुई. 23 साल तक सियासी अदावत के बीच एक दल में आने के बाद दोनों नेताओं की मुलाकात हुई है. सिंधिया और पवैया दोनों ने इस मुलाकात को पारिवारिक मुलाकात बताया है
लेकिन सियासी जानकर मानते हैं कि इससे ग्वालियर-चंबल ही नहीं प्रदेश-देश की राजनीति में बड़े मायने निकलेंगे. पवैया से मुलाकात के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, “मैंने पवैया जी के साथ एक नया संपर्क- नया रिश्ता कायम करने की कोशिश की है. अतीत, अतीत होता है, वर्तमान वर्तमान. भविष्य में पवैया जी और हम दोनों मिलकर काम करेंगे. सिंधिया ने कहा, “आज पवैया जी का साथ और उनका प्रेम मुझे मिला है.
उसे मैं अपना सौभाग्य समझता हूं. पवैया जी का लंबा अनुभव और बड़ा कार्यकाल रहा है. उनके अनुभव का लाभ आने वाले समय में मुझे मिलेगासिंधिया ने दुख जताते हुए कहा, “पवैया जी के घर में एक बड़ा हादसा हुआ है, उनके पिताजी नहीं रहे हैं. कोरोना महामारी में हमारे परिजन भी संक्रमित हुए. मुझे विश्वास है कि हम दोनों साथ मिलकर ग्वालियर के विकास और तरक्की के लिए काम करेंगे
पूर्वमंत्री जयभान सिंह पवैया ने सिंधिया से मुलाकात पर कहा, “भारतीय समाज की परंपरा है कि हम एकदूसरे का दुख बांटते हैं. मेरे पूज्य पिताजी चले गए, उसके बाद मेरा पूरा परिवार कोरोना के संकट में रहा. ऐसे दुख में दलों की भी सीमाएं नहीं होती. वह (सिंधिया) तो हमारे परिवार के कार्यकर्ता हैं. सिंधिया जी का आज मेरे आवास पर आना एक कार्यकर्ता का दूसरे कार्यकर्ता के दुख बांटने से ज्यादा किसी और मायने में नहीं देखा जाना चाहिए
शोक संवेदना पॉलिटिकल सेलिब्रेशन से हटके हुआ करती हैं, इसलिए हमारी भेंट आज पारिवारिक और संवेदना की दृष्टि से थी. मुझे अच्छा लगा कि दुख बांटने का जो उनका स्वभाव है, उससे हमें सांत्वना मिली है. आज शोक संवेदनाओं और पारिवारिक विषय पर चर्चा हुई और पोस्ट कोविड पर उनसे बातचीत हुई क्योंकि सिंधिया जी भी कोविड-19 संकट से गुजरे हैं