भोपाल।राजस्थान-छत्तीसगढ़ की तरह मध्यप्रदेश में पुरानी पेंशन योजना लागू करने के लिए शिवराज सरकार पर दबाव बढ़ रहा है। कर्मचारी संगठन एकजुट होकर इसकी मांग उठा रहे हैं। कांग्रेस भी अब इस मुद्दे पर कर्मचारियों के साथ खड़ी हो गई है। रविवार को शिक्षक कांग्रेस अधिवेशन में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व सीएम कमलनाथ ने ऐलान किया कि 2023 में कांग्रेस की सरकार बनी, तो मध्यप्रदेश में भी पुरानी पेंशन स्कीम लागू की जाएगी।
राजस्थान और छत्तीसगढ़ के साथ ही मध्यप्रदेश में भी अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में कांग्रेस ने यह बड़ी घोषणा कर कर्मचारियों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। इसके साथ ही यह तय हो गया कि 2023 के घोषणापत्र में कांग्रेस पुरानी पेंशन योजना को प्रमुखता के साथ शामिल करेगी। अधिवेशन में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, पूर्व पीसीसी चीफ अरुण यादव, पूर्व मंत्री पीसी शर्मा समेत अन्य नेता शामिल हुए। कमलनाथ ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना लागू करने से कोई नहीं रोक सकता।
ये है हाल
1 जनवरी 2005 के बाद प्रदेश में 3.35 लाख से ज्यादा कर्मचारी सेवा में आ चुके हैं, जो पेंशन नियम-1972 के दायरे में नहीं आते। 2.87 लाख अध्यापक संवर्ग से हैं, जो 2008 में टीचर बन गए। बचे हुए 48 हजार पर नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) लागू है।
– 1 जनवरी 2005 से सरकारी सर्विस में आए कर्मचारियों का कहना है कि उनके लिए अंशदायी पेंशन (वर्तमान में लागू) में कर्मचारी के मूल वेतन से 10% राशि काटकर पेंशन खाते में जमा कराई जाती है। 14% राशि सरकार मिलाती है। रिटायर होने पर 50% राशि एकमुश्त दे दी जाती है। शेष 50% से पेंशन बनती है। यह राशि अधिकतम 7 हजार रुपए से ज्यादा नहीं होती। इसकी वजह से कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग कर रहे हैं।
- वर्तमान में लागू पेंशन योजना (NPS) के तहत कर्मचारी अपने मासिक वेतन का 10% भुगतान करते हैं। सरकार भी इतना ही मिलाती थी, लेकिन मई 2021 से सरकार ने अपना हिस्सा 4% बढ़ा दिया है। अब कर्मचारी के वेतन का 24% (10%कर्मचारी+14%सरकार) पेंशन के नाम पर लिया जाता है। बाद में इसे इक्विटी शेयरों में निवेश किया जाता है। सेवानिवृत्ति पेंशन उस निवेश के रिटर्न पर आश्रित है। पुरानी पेंशन योजना में पूरी पेंशन राशि सरकार ही देती थी। इसमें पगार से राशि नहीं काटी जाती थी। कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद हर महीने मिलने वाली पेंशन उसके वेतन से आधी राशि होती थी।