भोपाल। मध्य प्रदेश में पदोन्नति में आरक्षण के नियम निरस्त होने के बाद से 2016 से पदोन्नतियां रुकी हुई हैं। इस कारण हजारों कर्मचारी बिना पदोन्नत हुए ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इस मुद्दे को लेकर सरकार सुप्रीम कोर्ट में गई है, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के 27 प्रतिशत आरक्षण के मामले में भी स्थिति समान है। हाल ही में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इन दोनों मुद्दों का जल्द समाधान निकाला जाए।
इस दिशा में, सामान्य प्रशासन विभाग एक बार फिर कर्मचारी संगठनों से चर्चा करेगा और सबका पक्ष लेकर महाधिवक्ता से सलाह ली जाएगी। फिर, सुप्रीम कोर्ट में जल्दी सुनवाई के लिए प्रयास किया जाएगा। पदोन्नति में एक ओर अनुसूचित जाति-जनजाति (SC/ST) वर्ग है तो दूसरी ओर अनारक्षित वर्ग, जिनके अपने-अपने तर्क हैं।
इन दोनों मामलों के लंबित रहने से सभी पक्ष परेशान हैं और समाधान चाहते हैं। हालांकि, सामान्य सहमति नहीं बन पा रही है, इस संबंध में सरकार ने मंत्रियों की समिति भी बनाई थी, लेकिन इसके बावजूद कुछ ठोस कदम नहीं उठाए जा सके। पिछले दिनों ओबीसी आरक्षण को लेकर बैठक में मुख्यमंत्री ने पदोन्नति में आरक्षण का मामला भी उठाया और अधिकारियों को निर्देश दिया कि सभी पक्षों से चर्चा करके समाधान निकाला जाए।