भोपाल: मध्य प्रदेश के सरकारी मेडिकल कालेजों में चिकित्सा शिक्षकों की भर्ती नियमों में सरकार बड़ा बदलाव करने की तैयारी कर रही है। इनमें सहायक प्राध्यापक पद के लिए भर्ती की आयु सीमा 50 वर्ष करने का प्रस्ताव है। चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) को प्रस्ताव भेजा है। अभी नियुक्ति के लिए अधिकतम आयु 40 वर्ष है, जिसमें आरक्षित वर्ग को पांच वर्ष की छूट मिलती है।
अभी सीनियर रेजिडेंट पद पर रहने की अधिकतम आयु 45 वर्ष है। एक वर्ष तक सीनियर रेजिडेंट रहने के बाद ही कोई डॉक्टर मेडिकल कालेज में सहायक प्राध्यापक बनने के लिए पात्र होता है. इसी विसंगति को दूर करने लिया के लिए आयु सीमा बढ़ाई जा रही है. नए नियम से नए मेडिकल कालेजों में फैकल्टी के पद भरना आसान हो जाएगा।
लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा पदों विभाग की ओर से जीएडी को भेजे सागर प्रस्ताव में कहा गया है कि एमडी जाने एमएस (स्नातकोत्तर) की पढ़ाई पूरी हुए करने तक डॉक्टर की उम्र लगभग 32 साल हो जाती है। इसके बाद वह बांड अवधि भी पूरा करता है।
स्पेशियलिटी में चयन होने पर लगभग चार वर्ष और चले जाते हैं। इसके बाद कम से एक वर्ष सीनियर रेजिडेंट रहने के बाद ही यह सहायक प्राध्यापक बनने के पात्र होता है। ऐसे में 40 वर्ष की उम्र सीमा कम पड़ जाती है।
बता दें कि जीएडी ने लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के पूर्व में भेजे गए प्रस्ताव पर यह कहते हुए असहमति जताई थी कि किसी एक विभाग के लिए उम्र सीमा नए सिरे से निर्धारित नहीं की जा सकती। ऐसे में अब विशेष प्रकरण बताते हुए विभाग ने जीएडी को प्रस्ताव भेजा है। यहां से सहमति मिलने पर यह प्रस्ताव कैबिनेट में जाएगा।
मेडिकल कालेजों में फैकल्टी के पदों पर सीधी पत्री लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा की जाती है। ऐसे में दूसरे राज्यों के लोगों को भी आयु सीमा बढ़ने का लाभ मिलेगा। हालांकि दूसरे राज्य के अभ्यर्थी सिर्फ आरक्षित पदों पर ही भर्ती हो सकते हैं। चिकित्सा संचालनालय के अधिकारियों का कहना है कि, एम्स में भी भर्ती की अधिकतम उम्र 50 वर्ष है। राज्यों के मेडिकल कालेजों में वहां के लोक सेवा आयोग के नियमों के अनुसार आयु सीमा निर्धारित है. अभी शासकीय मेडिकल कालेजों में सेवानिवृति आयु 65 वर्ष और निजी कालेजों 70 वर्ष है।