भोपाल। मध्य प्रदेश में किसानों को गेहूं और धान जैसी परंपरागत फसलों के बजाय उद्यानिकी और औषधीय फसलों की खेती करने के लिए 12 कंपनियां प्रोत्साहित करेंगी। कृषि विविधीकरण योजना के तहत राज्य के विभिन्न् हिस्सों में 6.72 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में इस तरह से खेती करवाई जाएगी। कंपनियां किसानों को फसल उत्पादन का प्रशिक्षण देंगी। बीज भी उपलब्ध कराएंगी। उपज खरीदने के साथ भंडारण भी कंपनियां ही करेंगी। राज्य सरकार ने इस योजना के लिए 20 करोड़ रुपये का बजट रखा है। किसानों को लाभकारी खेती की ओर उन्मुख करने के लिए फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने का निर्णय किया गया है।
किसानों को ऐसी फसल उपजाने के लिए तैयार किया जा रहा है, जिनकी कीमत बेहतर मिलती है। इस योजना में अब तक 12 कंपनियों ने रुचि दिखाई है। दो को अनुमति दी जा चुकी है। कृषि विभाग 10 अन्य कंपनियों के प्रस्तावों का परीक्षण कर अंतिम रूप दे रहा है। दरअसल, प्रदेश में अधिकांश किसान गेहूं, धान जैसी परंपरागत फसलों की खेती करते हैं। इनमें आय सीमित होती है, जबकि उद्यानिकी व औषधीय फसलों की खेती में लाभ अधिक है, लेकिन चुनौती बाजार मिलने व भंडारण की आती है। इसके हल के लिए सरकार ने कृषि विविधीकरण योजना बनाई है।
आइटीसी को 2850 हेक्टेयर और ग्रीन एंड ग्रेंस को 500 हेक्टेयर क्षेत्र में खेती करवाने की अनुमति दी गई है। फोर लीफ फ्लोवर एग्रो, मां अन्नपूर्णा फूड एंड फार्म्स, एग्रोस्पेस स्टीडिंग, पतंजलि आर्गेनिक रिसर्च इंस्टीट्यूट, भारुआ एग्री साइंस, जयपुर आयो फर्टिलाइजर, आर्टीजन एग्रोटेक, सिद्धि विनायक एग्री प्रोसेसिंग, देहात और आरीआइल्स के प्रस्ताव की जांच हो रही है।
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