भोपाल। मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार और संगठन इन दिनों कुछ असहजता का सामना कर रहे हैं, खासकर जब से कांग्रेस, बसपा और अन्य दलों से आए नेताओं ने अपनी स्थिति को मजबूत करना शुरू किया है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र, इन नेताओं के बयान और सार्वजनिक विरोध-प्रदर्शन ने भाजपा के पुराने नेताओं और कार्यकर्ताओं में असंतोष पैदा कर दिया है, जो साफ नजर आ रहा है।
कांग्रेस-बसपा के नेताओं की भूमिका…
हाल ही में कांग्रेस और बसपा से आए कई विधायकों ने पार्टी के अंदरूनी मामलों को सार्वजनिक रूप से उठाया है। इनमें से कई नेताओं का मानना है कि पार्टी की विचारधारा से उनका कोई ताल्लुक नहीं है, जिससे उनकी गतिविधियों के कारण सरकार की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। जैसे की, मऊगंज विधायक प्रदीप पटेल ने कानून-व्यवस्था के मुद्दे को लेकर एएसपी के सामने दंडवत होकर वीडियो बनाया, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया।
भाजपा के पुराने नेताओं की चिंता…
भाजपा के पुराने नेता इस स्थिति को चिंताजनक मानते हैं। उनका कहना है कि नए नेता पार्टी के मूल सिद्धांतों के प्रति संवेदनशील नहीं हैं। इससे न केवल संगठनात्मक एकता में कमी आई है, बल्कि इससे पार्टी की छवि भी प्रभावित हो रही है। जैसे कि बृजबिहारी पटैरिया, जो कांग्रेस से भाजपा में आए थे, उन्होंने अपने त्यागपत्र की घोषणा सोशल मीडिया पर की, जो इस बात का संकेत है कि वह काफी असंतुष्ट हैं।
विधायकों का सार्वजनिक विरोध…
कई विधायकों ने अपने दर्द को सार्वजनिक रूप से साझा किया है। उन्होंने अधिकारियों की मनमानी और कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाए हैं। विशेषकर उन विधायकों को, जिन्होंने कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने के बाद टिकट हासिल किया, यह महसूस हो रहा है कि उनकी आवाज को नजर अंदाज किया जा रहा है। इसका भी ठोस उदाहरण है कि अमरवाड़ा से कांग्रेस विधायक कमलेश शाह को भाजपा में लाने और उपचुनाव में टिकट देने का निर्णय कई पुराने कार्यकर्ताओं के लिए अस्वीकार्य है।
पार्टी की प्रतिक्रिया और रणनीति…
हालांकि, भाजपा नेतृत्व इस स्थिति को गंभीरता से ले रहा है। बताया जा रहा है कि पार्टी ने उन विधायकों को भोपाल बुलाया है, जिन्होंने सार्वजनिक बयानबाजी की है, ताकि उन्हें पार्टी की नीति और विचारधारा से अवगत कराया जा सके। मध्य प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने स्पष्ट किया है कि पार्टी सभी मुद्दों पर चर्चा करेगी और संगठन की एकता को प्राथमिकता दी जाएगी।