नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह राजपूत की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ती नजर आ रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में मानसिंह पटेल की गुमशुदगी के मामले में सख्त संदेश देते हुए राज्य सरकार को विशेष जांच दल (SIT) का गठन करने के आदेश दिए हैं। यह मामला दिल्ली तक मंथन का विषय बन चुका है, और अब सवाल उठ रहा है कि क्या गोविंद सिंह राजपूत का भी इस्तीफा अनूप मिश्रा की तरह हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश-
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के डीजीपी को निर्देश दिया है कि एक विशेष जांच दल (SIT) गठित किया जाए, जो गोविंद सिंह राजपूत और उनके करीबी लोगों की भूमिका की जांच करेगी। यह SIT प्रदेश के बाहर से आईपीएस अधिकारियों द्वारा संचालित की जाएगी, जिसमें एक पुलिस महानिरीक्षक (IG), एक एसपी और एक अतिरिक्त एसपी रैंक के अधिकारी शामिल होंगे। कोर्ट ने SIT को चार महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
मानसिंह पटेल की गुमशुदगी का मामला
सागर जिले के ओबीसी नेता मानसिंह पटेल 2016 से लापता हैं। उनके बेटे सीताराम पटेल ने मंत्री गोविंद सिंह राजपूत पर अपने पिता की गुमशुदगी और उनकी पुश्तैनी जमीन पर अवैध कब्जे का आरोप लगाया है। आरोप है कि मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने पटेल की संपत्ति पर कब्जा कर लिया और इसके विरोध में पटेल ने कई बार स्थानीय प्रशासन से शिकायत की थी। शिकायतों के बावजूद, पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, जिससे परिवार में निराशा और आक्रोश फैल गया।
सरकारी कार्रवाई की आलोचना
सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय पुलिस द्वारा की गई जांच की आलोचना की और कहा कि पुलिस ने आरोपों की गंभीरता को नजरअंदाज किया। कोर्ट ने कहा कि स्थानीय पुलिस स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करने में विफल रही है और इसलिए इस मामले की जांच के लिए एक नई SIT की आवश्यकता है।
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कांग्रेस का हमला
कांग्रेस ने इस मामले पर बीजेपी और विशेषकर मंत्री गोविंद सिंह राजपूत पर हमला करते हुए कहा कि बीजेपी का चाल, चरित्र और कथनी-करनी में बड़ा अंतर है। कांग्रेस ने मांग की है कि गोविंद सिंह राजपूत को नैतिकता के आधार पर अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने SIT गठित कर दी है और उनके नाम का उल्लेख भी हुआ है।
अनूप मिश्रा की तरह इस्तीफा?
कांग्रेस का कहना है कि जैसे पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा ने समान परिस्थितियों में इस्तीफा दिया था, वैसे ही गोविंद सिंह राजपूत को भी इस्तीफा देना चाहिए। इस प्रकार की मांग ने राजनीति में हलचल मचा दी है और सरकार की स्थिति को चुनौती दी है।
आगे की राह
अब देखना यह है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद SIT की जांच में क्या नया सामने आता है और मंत्री गोविंद सिंह राजपूत इस मुद्दे को कैसे संभालते हैं। यह मामला अब न केवल मध्य प्रदेश, बल्कि पूरे देश में एक राजनीतिक और कानूनी चर्चा का विषय बन गया है।