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Tuesday, December 17, 2024

ग्वालियर ने बनाया गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड, 546 कलाकारों ने बजाए 9 वाद्ययंत्र

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ग्वालियर। रविवार, 15 दिसंबर को तानसेन संगीत समारोह में 546 कलाकारों ने 9 शास्त्रीय वाद्ययंत्रों पर राग मल्हार, मियां की तोड़ी और दरबारी कान्हड़ा का एक साथ वादन कर रिकॉर्ड बनाया। इसे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया। इस साल समारोह का 100वां साल है।

इससे पहले सीएम मोहन यारव ने समारोह का उद्घाटन किया और कहा, संगीत साधकों की समवेत प्रस्तुति संगीत सम्राट तानसेन को सच्ची आदरांजलि है। यूनेस्को सिटी ऑफ म्यूजिक ग्वालियर में संगीत विरासत को सहेजने का यह अद्भुत प्रयास है।

सीएम ने कहा कि भारतीय सनातन संस्कृति में संगीत का विशेष महत्व है। महर्षि पतंजलि ने मानव शरीर में पांच प्राण- प्राण, अपान, उदान, व्यान, समान और पांच उप प्राण नाग, कूर्म, देवदत्त, कृकला और धनंजय बताए हैं। संगीत इन सभी प्राणों में चेतना का जागरण करता है।

मुख्यमंत्री ने कहा- संगीत हमारी संस्कृति की पहचान
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा, प्रकृति के साथ संगीत का संबंध नैसर्गिक होकर हमारी संस्कृति की पहचान है। हमारे भगवान भी किसी न किसी वाद्य यंत्र को धारण करते हैं। सबसे पहला वाद्ययंत्र डमरू भगवान शिव धारण करते हैं। उसी तरह भगवान श्री कृष्ण के साथ बांसुरी जुड़ी है। बांसुरी को श्री कृष्ण ने हमेशा अपने पास रखा और एक तरह से बांसुरी ही भगवान श्री कृष्ण की पहचान बन गईं।

सीएम ने कहा, संगीत सम्राट तानसेन ने शास्त्रीय संगीत की साधना करते हुए अपने जीवन सार्थक किया। उनकी नगरी ग्वालियर में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड के निर्माण से प्रदेश के कला साधकों का मनोबल बढ़ेगा और संगीत की परंपरा को आगे बढ़ाने की प्रेरणा भी मिलेगी।

9 मिनट तक 9 शास्त्रीय वाद्यों का वादन
सुरों की साधना को समर्पित समवेत प्रस्तुति में देश और प्रदेश के 546 कलाकारों ने 9 शास्त्रीय वाद्ययंत्रों का वादन एक साथ किया। इसमें, 347 पुरुष एवं 189 महिला कलाकारों ने शिरकत की। समवेत प्रस्तुति के माध्यम से स्वर सम्राट तानसेन को स्वरांजलि अर्पित की गई। यह प्रस्तुति तानसेन रचित तीन राग जिनमें मल्हार, मियां की तोड़ी एवं दरबारी कान्हड़ा में निबद्ध थी।

इस प्रस्तुति का संयोजन सुप्रसिद्ध बांसुरी वादक पंडित रोनू मजूमदार ने किया। समवेत प्रस्तुति में वाद्ययंत्रों के साथ ही गायन भी शामिल था। निरंतर 9 मिनट तक वाद्य यंत्रों का वादन करने पर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड रचा गया।

तानसेन की समाधि पर शहनाई वादन से शुभारंभ
तानसेन समारोह के 100वें आयोजन का आगाज रविवार से हुआ है। सुबह 10 बजे हजीरा स्थित सुर सम्राट तानसेन की समाधि पर शहनाई वादन, ढोलीबुआ महाराज की हरिकथा एवं मीलाद वाचन से समारोह का पारंपरिक शुभारंभ हुआ। शाम 6 बजे समारोह की मुख्य सभाओं के लिए ऐतिहासिक महेश्वर किला की थीम पर बनाए गए भव्य मंच पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने औपचारिक शुभारंभ किया। इसके बाद सांगीतिक सभाओं की शुरुआत हुई।

केंद्रीय मंत्री सिंधिया भी कार्यक्रम में हुए शामिल
कार्यक्रम में केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, ग्वालियर के प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट, संस्कृति और पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी, सांसद ग्वालियर भरत सिंह कुशवाह, प्रमुख सचिव संस्कृति और पर्यटन शिव शेखर शुक्ला सहित स्थानीय अधिकारी और बड़ी संख्या में संगीत प्रेमी उपस्थित रहे।

मुख्य समारोह में 10 संगीत सभाएं होंगी
समारोह में इस साल 10 संगीत सभाएं होंगी। पहली सभा 15 दिसंबर को शाम तानसेन समाधि परिसर में बनाए गए भव्य मंच पर सजी। इसके बाद हर दिन यहीं पर सुबह और शाम को सभाएं होंगी। समारोह के तहत 18 दिसंबर को सुबह10 बजे से दो संगीत सभाएं समानांतर रूप से सजेंगीं। यह सभाएं तानसेन समाधि स्थल के मुख्य मंच और मुरैना जिले के सुप्रसिद्ध बटेश्वर मंदिर परिसर में संगीत सभा सजेगी। समारोह के आखिरी दिन यानी 19 दिसंबर को सुबह सभा संगीत शिरोमणि तानसेन की जन्मस्थली बेहट में और इस साल के समारोह की अंतिम संगीत सभा शाम को गूजरी महल परिसर (फोर्ट) में होगी।

तबला वादक स्वपन चौधरी नवाजे जाएंगे तानसेन सम्मान से
तानसेन सम्मान समारोह का आयोजन 18 दिसंबर को शाम 6 बजे तानसेन समाधि परिसर में मुख्य समारोह के भव्य मंच पर आयोजित होगा। देश के ख्यातिनाम तबला वादक पं. स्वपन चौधरी को वर्ष 2023 के तानसेन सम्मान से नवाजा जाएगा। इसी तरह वर्ष 2023 के राजा मानसिंह तोमर सम्मान से सानंद न्यास इंदौर (संस्था) को अलंकृत किया जाएगा। पं. स्वपन चौधरी मूल रूप से कोलकाता के रहने वाले हैं,पर वर्तमान में कैर्लिफोनिया में रहते हैं।

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