डल झील के पानी को रीसाइकिल करने के लिए ग्वालियर डीआरडीई लगाएगा 100 बायो डाइजेस्टर

ग्वालियर|  का रक्षा अनुसंधान एवं विकास स्थापना (डीआरडीई) कश्मीर की डल झील के आसपास 100 मार्क-टू बायो डाइजेस्टर लगाएगा। महाराष्ट्र में मेट्रो ट्रेन के स्टेशनों पर भी यह तकनीकि इस्तेमाल की जाएगी। जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय में जनहित याचिका लगाई गई थी।

इस पर काेर्ट ने एक समिति बनाई। समिति के अध्यक्ष डॉ. ई श्रीधरन ने डीआरडीई के वैज्ञानिकों से समस्या के हल के लिए संपर्क किया। वैज्ञानिकों ने मार्क टू बायो डाइजेस्टर का परीक्षण किया, जो सफल हुआ। समिति ने झील के आसपास 100 बायो डाइजेस्टर लगाने के आदेश डीआरडीई को दिए हैं। हाईकोर्ट के आदेश के बाद बायो डाइजेस्टर लगाने की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी।

डीआरडीई की जैव विज्ञान शाखा के महानिदेशक विशिष्ट वैज्ञानिक डॉ. एके सिंह और महाराष्ट्र मेट्रो रेल निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक डॉ. बृजेश दीक्षित ने मंगलवार को पुणे में एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान डीआरडीई ग्वालियर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एके गुप्ता व डॉ. अनुराग पांडे भी मौजूद थे। इस एमओयू के तहत डीआरडीई महाराष्ट्र के सभी मेट्रो स्टेशन पर मार्क टू बायो डाइजेस्टर लगाएगा। इन बायो डाइजेस्टर में उपयोग किए गए पानी को रीसाइकिल कर उपयोग किया जा सकेगा।

ये भी पढ़े :ग्वालियर मेला आयोजन को लेकरमंत्री की घोषणा के बाद भी नहीं आया आदेश 

मार्क-टू बायो डाइजेस्टर सीवर का निस्तारण करने वाली तकनीकि के तहत बना बायो टॉयलेट है। इसमें इस्तेमाल किए जाने वाले बैक्टीरिया को कार्य करने के लिए पाइप का साइज बढ़ाया गया है, ताकि बैक्टीरिया मानव मल का पूरी तरह निस्तारण कर सके। इस डाइजेस्टर में उपयोग किए गए पानी को रीसाइकिल कर शुद्ध किया जाएगा।

ये भी पढ़े :फिर लगा लॉकडाउन ब्रिटेन में , फरवरी माह के मध्य तक रहेगा प्रभावी

इसके बाद इसके उपयोग के लिए टैंक व उपकरण भी लगाए जाएंगे। इन टैंक से गुजरने के बाद शुद्ध पानी को अलग टैंक में एकत्र किया जाएगा। इस टैंक के पानी को शौचालय या उद्यानिकी में उपयोग किया जा सकेगा। इससे पर्यावरण भी शुद्ध रहेगा और पानी की भी बचत होगी।

डीआरडीई के वैज्ञानिकों ने बायो डाइजेस्टर को बर्फीली पहाड़ियों पर तैनात रहने वाले सैनिकों के उपयोग के लिए तैयार किया था। इसे सियाचिन व लद्दाख में सैनिकों के उपयोग के लिए लगाया गया। इसके बाद रेलवे में रेलवे ट्रैक पर गंदगी को खत्म कर पटरी को खराब होने से बचाने के लिए बायो डाइजेस्टर को उपयोग किया गया। इन्हें सबसे पहले डीआरडीई ने ग्वालियर से चलने वाली बुंदेलखंड एक्सप्रेस में लगाया था। अब तक ट्रेनों के 2.4 लाख कोच में बायो डाइजेस्टर लगाए जा चुके हैं।

Daily Update के लिए अभी डाउनलोड करे : MP samachar का मोबाइल एप 
RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments

error: Content is protected !!