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सैलरी न मिलने पर हमीदिया अस्पताल के कर्मचारी हड़ताल पर, मरीज परेशान

भोपाल। हमीदिया अस्पताल में 500 से अधिक आउटसोर्स कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर बैठे हैं, जिससे अस्पताल की स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो गई हैं। दरअसल, कर्मचारियों को 3 महीने से सैलरी नहीं मिली है, जिससे उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

यह दूसरी बार है जब हमीदिया अस्पताल (Bhopal Hamidia Hospital) के कर्मचारी हड़ताल पर गए, इससे पहले भी उन्होंने सैलरी मिलने के आश्वासन के बाद हड़ताल खत्म की थी। लेकिन वेतन नहीं मिलने पर उन्होंने फिर से हड़ताल शुरू कर दी है।

वार्ड बॉय – टेक्नीशियन सहित अन्य लोग हड़ताल पर
हमीदिया अस्पताल के वार्ड बॉय, कंप्यूटर ऑपरेटर, लैब टेक्नीशियन और हाउस कीपिंग स्टाफ को 3 महीने से सैलरी नहीं मिली है, जिससे उन्हें घर-परिवार के खर्च चलाने में भारी परेशानी हो रही है इसके विरोध में स्टाफ ने मंगलवार से फिर से हड़ताल शुरू कर दी है। हड़ताल पर बैठे कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि अगर उन्हें जल्द सैलरी नहीं दी गई तो वे कलेक्टर ऑफिस तक रैली निकालकर प्रदर्शन करेंगे।

इसलिए नहीं मिल रही सैलरी
हमीदिया अस्पताल के कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिलने का कारण यह है कि गांधी मेडिकल कॉलेज (GMC) ने एजाइल कंपनी को पिछले तीन महीने से पेमेंट नहीं किया है। कंपनी का दावा है कि जीएमसी पर 15 करोड़ रुपये से अधिक की रकम बकाया है, जिसके कारण कंपनी ने कर्मचारियों की सैलरी रोक दी गई है।

कंपनी ने सिर्फ आश्वासन दिया
दो महीने पहले कर्मचारियों की हड़ताल के बाद कंपनी को 1 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया था, जिससे सैलरी जारी की गई थी। हालांकि, उस समय दिवाली बोनस नहीं दिया गया। इससे पहले इन कर्मचारियों ने तीन से चार बार कंपनी को पत्र लिखकर शिकायत की थी। पत्र के जवाब में कंपनी ने सिर्फ आश्वासन दिया था।

ये हैं कर्मचारियों की मांगें
सैलरी हर महीने की 1 से 8 तारीख के बीच मिले।
बाकी का बोनस तुरंत दिया जाए और भविष्य में समय पर भुगतान हो।
सरकारी छुट्टी मिले और डबल ड्यूटी का भुगतान किया जाए।
सभी आउट सोर्स कर्मचारियों को जॉइनिंग लेटर जारी किया जाए।
पहले भी किया था हड़ताल

दरअसल, हफ्ते भर पहले 10 दिसंबर को 500 से अधिक वार्ड बॉय और टेक्नीशियन हड़ताल पर थे। सुबह 7 बजे से सभी कर्मचारी अस्पताल के सामने धरने पर बैठे थे। हड़ताल के चलते मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मरीजों के परिजन खुद ही व्हील चेयर और स्ट्रेचर धकाते नजर आए।

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