الرئيسية एमपी समाचार हरियाणा पर्सनल लोन में सबसे आगे, मध्य प्रदेश पीछे

हरियाणा पर्सनल लोन में सबसे आगे, मध्य प्रदेश पीछे

नई दिल्ली: उत्तरी भारत के राज्यों में पर्सनल लोन की मांग तेजी से बढ़ी है, जबकि दक्षिण के राज्यों में इसकी वृद्धि अपेक्षाकृत धीमी रही है। पिछले तीन वर्षों में उत्तर भारत के आठ बड़े राज्यों में पर्सनल लोन में औसतन 96% की वृद्धि दर्ज की गई है, वहीं दक्षिण भारत के राज्यों में यह बढ़ोतरी केवल 54% तक सीमित रही। यह जानकारी क्रेडिट ब्यूरो एक्सपेरियन की एक रिपोर्ट के आधार पर सामने आई है।

हरियाणा में 2020 से 2023 के बीच पर्सनल लोन में सर्वाधिक 96.36% की वृद्धि हुई। 2020 में हरियाणा में पर्सनल लोन का कुल आंकड़ा 83 हजार करोड़ रुपये था, जो 2023 में बढ़कर 1.36 लाख करोड़ रुपये हो गया। इसके विपरीत, मध्य प्रदेश में पर्सनल लोन की वृद्धि दर सबसे कम रही, जहां यह मात्र 55.69% तक पहुंची। 2020 में यहां 79 हजार करोड़ रुपये का पर्सनल लोन लिया गया था, जो 2023 में 1.23 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा।

दक्षिण भारत की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ी उत्तरी राज्यों में लोन की मांग

उत्तर भारत के राज्यों में जहां पर्सनल लोन में तेजी से वृद्धि देखी गई, वहीं दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना में पर्सनल लोन का कुल आंकड़ा 2020 में 9.10 लाख करोड़ रुपये था, जो 2023 में 14 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा, यानी केवल 53.84% की वृद्धि हुई। देश का औसत पर्सनल लोन वृद्धि दर 58% रहा, जो दक्षिणी राज्यों की तुलना में अधिक है।

फिनटेक कंपनियों का बढ़ता दबदबा

मार्च 2024 की तिमाही तक फिनटेक कंपनियों ने छोटे टिकट वाले पर्सनल लोन में 25% और कुल कर्ज में 52% की हिस्सेदारी हासिल की है। इन कंपनियों ने मार्च 2024 तक 2.48 लाख करोड़ रुपये के पर्सनल लोन और 28,607 करोड़ रुपये के बिजनेस लोन दिए। एक्सपेरियन की रिपोर्ट के अनुसार, छोटे कस्बों और ग्रामीण इलाकों में फिनटेक कंपनियों की हिस्सेदारी बढ़कर 87% तक पहुंच गई है, जो एजेंट्स के माध्यम से ऑनलाइन कर्ज वितरण करती हैं।

लघु उद्योगों की कर्ज की जरूरत पूरी नहीं हो रही

देश में लघु उद्योगों को 44.20 लाख करोड़ रुपये के कर्ज की जरूरत है, जिसमें से वे केवल 25% ही बैंकिंग चैनल से प्राप्त कर पाते हैं। बाकी 75% कर्ज उन्हें सूदखोरों से भारी ब्याज पर लेना पड़ता है। छोटे पर्सनल लोन में भी फिनटेक कंपनियों की हिस्सेदारी 25% तक है, जो देश में क्रेडिट गैप को दर्शाता है।

उत्तरी राज्यों में पर्सनल लोन के डिफॉल्ट बढ़े

एक्सपेरियन की रिपोर्ट के अनुसार, एक साल में पर्सनल लोन डिफॉल्ट की दर 1.89% से बढ़कर 2.19% हो गई है। इसके अलावा, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और राजस्थान जैसे राज्यों में एक लाख रुपये तक के बिजनेस लोन की हिस्सेदारी 50% तक रही।

2030 तक ईवी फाइनेंसिंग की बढ़ेगी मांग

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2030 तक इलेक्ट्रिक वाहनों की फाइनेंसिंग 3.7 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है। इसमें कार और बसों के लिए 2.9 लाख करोड़ रुपये और दोपहिया वाहनों के लिए 40 हजार करोड़ रुपये की कर्ज की जरूरत होगी।

उत्तर भारत के राज्यों में पर्सनल लोन की बढ़ती मांग यह दर्शाती है कि वहां के लोग वित्तीय जरूरतों के लिए कर्ज पर अधिक निर्भर हो रहे हैं। हालांकि, फिनटेक कंपनियों का बढ़ता प्रभाव और क्रेडिट गैप यह भी इंगित करता है कि पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली को इन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपनी पहुंच और कर्ज वितरण प्रणाली में सुधार करना होगा।

error: Content is protected !!
Exit mobile version