एनएचएम कार्यालय का घेराव करने पहुंचे स्वास्थ्यकर्मी, डाक्टरों ने दी ये चेतावनी

भोपाल। स्वास्थ्य विभाग के डाक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों ने एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है। राजधानी में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मप्र इकाई के प्रदेश कार्यालय के बाहर बड़ी संख्या में सोमवार सुबह से संविदा स्वास्थ्यकर्मी जुट रहे हैं। ये कार्यालय का घेराव करने की तैयारी कर रहे हैं। पूर्व से आंदोलनरत इन कर्मचारियों की मांग है कि उनका संविलियन एनएचएम में खाली पदों पर नहीं किया जा रहा है। इन कर्मचारियों के बड़ी संख्या में पहुंचने के कारण मुख्य सड़क पर जाम की स्थिति है। राहगीरों को परेशान होना पड़ रहा है। उधर, हमीदिया व जेपी अस्पताल समेत अन्य शासकीय अस्पतालों में डाक्टर सुबह से काली पट्टी बांधकर काम कर रहे हैं। ये उनके कामकाज में बाहरी दखल को खत्म् करने और केंद्र के समान पदोन्नति की मांग कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि एनएचएम संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के बैनर तले 18 अप्रैल से प्रदेश के 32 हजार कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है। जिसके कारण स्वास्थ्य सेवाओं पर विपरित असर पड़ रहा है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण, जांच, दवाओं का वितरण जैसे कार्यक्रम ठप है।

मप्र शासकीय चिकित्सक महासंघ के बैनरतले डाक्टरों ने चेतावनी दी है कि पदोन्नति और बाहरी दखल को खत्म करने जैसी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो वे मंगलवार से काम बंद कर देंगे। महासंघ के डा. राकेश मालवीय ने बताया कि उक्त निर्णय लेने के पूर्व महासंघ के पदाधिकारी सभी स्तरों पर अपनी मांग रख चुके हैं लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है। इधर, संभागायुक्त माल सिंह भयडिया ने रविवार को डीन व चिकित्सकों की बैठक ली। जिसमें चिकित्सक महासंघ की चेतावनियों को लेकर बातचीत की। उन्होंने कहा कि मेडिकल कालेज हो या अस्पताल, कही भी व्यवस्थाएं नहीं बिगड़नी चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को मरीजों की सुविधाओं को देखते हुए सभी व्यवस्थाएं ठीक रखने, अलग से चिकित्सकों को बुलाकर उपचार दिलाने, अस्पताल परिसरों में उचित सुरक्षा व्यवस्था बनाने के लिए पुलिस आयुक्त को पत्र भेजने संबंधी दिशा निर्देश दिए हैं। प्रस्तावित हड़ताल का आयुष विभाग के अस्पतालों पर असर नहीं होगा।

संघ के प्रवक्ता कोमल सिंह ने बताया कि संविदा कर्मियों को आउटसोर्स पर कर दिया है, जिन्हें वापस संविदा पर नहीं किया जा रहा है। इसको लेकर अधिकारियों से कई स्तर पर चर्चा कर चुके हैं। निकाले गए कर्मचारियों को वापस नहीं लिया जा रहा है। शासकीय कर्मचारियों से अधिक काम करने के बावजूद वेतन व सुविधाओं में भेदभाव किया जा रहा है।

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