जबलपुर। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के खिलाफ आपराधिक अवमानना से जुड़े मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई जस्टिस संजय द्विवेदी की अदालत में हुई, जिसमें राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा का पक्ष रखने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल पेश हुए। सुनवाई के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
मामला क्या है?
विवेक तन्खा ने शिवराज, वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह के खिलाफ 10 करोड़ रुपये के आपराधिक मानहानि का केस दायर किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि भाजपा नेताओं ने उनके खिलाफ झूठे बयान दिए, जिससे उनकी छवि को ठेस पहुंची है। इस मामले में एमपी-एमएलए की विशेष कोर्ट ने इन नेताओं के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया था, जिसे चुनौती देने के लिए शिवराज और अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
कपिल सिब्बल की दलीलें…
सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने अदालत में यह स्पष्ट किया कि किसी अधिवक्ता पर गलत आरोप लगाना पूरी तरह से अनुचित है। उन्होंने कहा कि वकील कोर्ट में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं और जब उन पर बाहर लांछन लगाया जाता है, तो यह समाज के लिए खतरनाक हो सकता है। सिब्बल ने जोर दिया कि यदि वकील की छवि पर चोट पहुंचती है, तो न्याय की व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लग जाता है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि शिवराज सिंह चौहान को 19 तारीख को नोटिस दिया गया था और आरोपों का खंडन करते हुए विवेक तन्खा ने 21 दिसंबर को पत्रकार वार्ता भी की थी, परंतु भाजपा नेताओं की ओर से कोई जवाब नहीं आया।
सुनवाई के बाद मीडिया से बात करते हुए विवेक तन्खा ने कहा कि वह अदालत के फैसले से संतुष्ट हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने यह मुकदमा एक नेता के रूप में नहीं, बल्कि एक अधिवक्ता के रूप में दायर किया है। उनका कहना था कि नेताओं को कोर्ट की कार्रवाई पर झूठ नहीं बोलना चाहिए, क्योंकि इससे न केवल उनकी बल्कि पूरी न्यायिक व्यवस्था की गरिमा प्रभावित होती है। विवेक तन्खा ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने यह मामला सिर्फ अपनी व्यक्तिगत मानहानि के लिए नहीं, बल्कि न्याय और अधिवक्ता की गरिमा के लिए लड़ा है। उनका मानना है कि अदालत को एक नजीर पेश करनी चाहिए, जिससे भविष्य में ऐसे मामलों में और गंभीरता से विचार किया जा सके।
इस मामले में अब हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार किया जा रहा है। कोर्ट ने वारंट पर रोक भी लगा दी है। विवेक तन्खा ने अपनी याचिका में यह भी कहा है कि भाजपा नेताओं ने जानबूझकर ओबीसी आरक्षण पर रोक का आरोप उन पर लगाया, जिससे उनकी छवि को नुकसान पहुंचा। अब देखना होगा कि उच्च न्यायालय इस मामले में क्या फैसला लेता है।