इंदौर। सीधी भर्ती से उपनिरीक्षक के पद पर नियुक्त हुए पुलिस अफसरों को राज्य सरकार प्राथमिकता के आधार पर प्रमोशन दे रही है। इसके खिलाफ आरक्षक, एएसआई से प्रमोट होकर उप निरीक्षक बने अफसरों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने याचिका का फैसला होने तक सीधी भर्ती से उपनिरीक्षक बने पुलिसकर्मियों के निरीक्षक बनाए जाने पर अंतरिम रोक लगा दी है।
प्रदेशभर में 300 सीधी भर्ती वाले उप निरीक्षकों को प्रमोट किया जाना है। वहीं, निचले पदों से नियुक्त होकर उपनिरीक्षक बनने वालों को सरकार प्राथमिकता नहीं दे रही। इनकी संख्या करीब 700 है। याचिकाकर्ता उपनिरीक्षकों की ओर से याचिका में कहा गया कि प्रमोट होकर उपनिरीक्षक बने अफसरों को निरीक्षक बनने के लिए महज चार साल के अनुभव की आवश्यकता है, जबकि सीधी भर्ती वालों के लिए यह नियम छह साल का है।
इसके बावजूद इस अनिवार्यता को नजरअंदाज कर सीधी भर्ती वालों को प्रमोशन का लाभ दिया जा रहा है। शुक्रवार को हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए अंतरिम रोक लगा दी। साथ ही शासन को इस मामले में जवाब पेश करने के लिए कहा है।