ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने करीब डेढ़ दशक से बिखरे परिवार को एकजुट करने की एक बार फिर से कोशिश की है। कोर्ट में पति पत्नी के अलावा उनकी 13 साल की बेटी भी मौजूद थी ।वहीं पति पत्नी के पिता भी कोर्ट में मौजूद थे। पत्नी का कहना था कि वह पति के साथ रहने को तैयार है उधर पति अपनी पत्नी के पूर्व के कृत्यों को देखते हुए उसे साथ ले जाने को तैयार नहीं था। तब हाईकोर्ट ने उनकी मासूम बेटी का हवाला दिया और कहा कि आप दोनों के झगड़े में इस मासूम के जीवन पर भविष्य में कितना असर पड़ेगा इसकी कल्पना भी आप नहीं कर सकते हैं।
हाईकोर्ट ने काफी देर तक पति पत्नी को समझाया। इसके बाद दोनों के पिता को भी कोर्ट ने बुलाया और उन्हें समझाइश दी कि आप लोग जीवन के उत्तरार्ध में हैं। ऐसे में अपने बच्चों का भविष्य खराब करने से आप लोगों को कुछ भी हासिल नहीं होगा। अब महिला के पिता को उनकी पोती के साथ अपने समधी यानी लड़के के पिता के घर जाकर बातचीत करना होगी। दोनों को अपने दुख दर्द और गिले-शिकवे करके अपने मन हल्का करने होंगे। जिससे फिर से उनके बच्चों का घर बसाया जा सके।
वही खास बात यह है कि युवक केंद्र सरकार के उपक्रम में सेकंड क्लास अफसर है वही उसकी पत्नी भी पढ़ी लिखी है ।पति पत्नी के पिता भी पढ़े लिखे और रिटायर्ड व्यक्ति हैं ।कोर्ट ने कहा कि आप लोगों की पढ़ाई किसी काम की नहीं रहेगी अगर आप लोगों ने इस परिवार को एकजुट नहीं किया। कोर्ट ने बच्ची से भी सवाल जवाब किए ।बच्ची को उसके पिता ने पहली बार अपने गले लगाया ।क्योंकि पति पत्नी के बीच 2008 से ही विवाद चल रहा है इस कारण बच्चे अपनी मां के पास रहती है। अब कोर्ट ने दोनों समधियों को कहा है कि वो इस बिखरते परिवार को एकजुट करने के लिए प्रमुख कड़ी हैं। वह अपने पूरे प्रयास करके इस परिवार को दोबारा एकजुट करें इसी में परिवार और समाज की भलाई है।