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फीस वृद्धि करने वाले स्कूलों पर हाईकोर्ट की लगाम, लौटानी होगी राशि

जबलपुर। गुरुवार को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में निजी स्कूलों द्वारा फीस बढ़ोतरी से जुड़ी याचिका पर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की पीठ ने इस मामले में अभिभावकों द्वारा दायर की गई याचिका पर विचार किया। कुछ अभिभावक कोर्ट में उपस्थित रहे।

स्कूल विनिमय अधिनियम 2018 का उल्लंघन
सुनवाई के दौरान हस्तक्षेपकर्ता के वकील सुरेंद्र वर्मा ने आरोप लगाया कि मप्र शासन द्वारा बनाए गए स्कूल विनिमय अधिनियम 2018 के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है, और अभिभावकों से एक साथ फीस वसूलने के आदेश दिए जा रहे हैं।

अभिभावकों ने पहले ही 70% फीस जमा की
कोर्ट ने पूछा कि अभिभावक फीस क्यों नहीं जमा कर रहे हैं। याचिकाकर्ताओं के वकील ने बताया कि अभिभावकों ने पहले ही 70% फीस जमा कर दी है, लेकिन बाकी फीस के मामले में कोर्ट में सुनवाई चल रही है, जिसके कारण बाकी फीस नहीं जमा की गई है।

10% सालाना फीस वृद्धि की अनुमति
बचाव पक्ष के वकील अंशुमान सिंह ने 13 अगस्त 2024 के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि मप्र स्कूल अधिनियम 2018 के तहत 10% सालाना फीस वृद्धि की अनुमति दी गई थी, और उसी के आधार पर फीस वसूली की जा रही है।

कोर्ट का निर्णय
कोर्ट ने निजी स्कूलों को निर्देश दिया कि 50% फीस तीन दिनों में जमा की जाए और बाकी 50% फीस तीन महीने के अंदर जमा की जाए। पेरेंट्स एसोसिएशन के वकील सुरेंद्र वर्मा ने इस निर्णय पर असंतोष व्यक्त किया और बेहतर निर्णय की उम्मीद जताई। पेरेंट्स एसोसिएशन के सदस्य सचिन गुप्ता ने कानूनी लड़ाई जारी रखने की बात की।

अगली सुनवाई 17 मार्च को
कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि स्कूलों ने 2018 या उससे पहले 10% से अधिक फीस बढ़ाई है, तो वह राशि अभिभावकों को वापस की जाएगी। इस मामले की अगली सुनवाई 17 मार्च को होगी, जहां मनमानी फीस वसूली पर आगे के कदम तय होंगे।

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