आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, पढ़िए पूरी खबर

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High Court
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जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से स्पष्ट करने को कहा है कि प्रदेशभर के आंगनबाड़ी केंद्रों में कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को सेवानिवृत्ति के बाद ग्रेच्युटी का लाभ क्यों नहीं दिया जाता। जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने राज्य शासन, महिला एवं बाल विकास विभाग सहित अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

ग्रेच्युटी पर सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, फिर भी लाभ से वंचित

मप्र आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका यूनियन की ओर से अधिवक्ता अरविंद श्रीवास्तव ने पक्ष रखते हुए दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ग्रेच्युटी के पात्र हैं, फिर भी उन्हें इसका लाभ नहीं दिया जा रहा। इस मुद्दे को लेकर कई ज्ञापन और आंदोलनों के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई न होने पर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई।

पदोन्नति में सीधी भर्ती का नियम क्यों? HC का सवाल

हाई कोर्ट ने चिकित्सा शिक्षा विभाग से पूछा है कि सीधी भर्ती के नियम को पदोन्नति में कैसे लागू किया जा सकता है। जस्टिस आशीष श्रोती की एकलपीठ ने डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन और बिरसा मुंडा शासकीय मेडिकल कॉलेज, शहडोल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

शहडोल निवासी डॉ. देबरंजन दत्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आदित्य संघी ने बताया कि याचिकाकर्ता असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं, लेकिन कॉलेज प्रशासन ने एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया, जिसमें राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के टीचर एलिजिबिलिटी क्वालिफिकेशन नियम के तहत याचिकाकर्ता को अपात्र घोषित कर दिया गया।

आदेश की अवहेलना पर 15 हजार रुपए का जुर्माना

हाई कोर्ट ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी अधिकारियों द्वारा पूर्व आदेश का पालन न करने पर नाराजगी जताई और अपील के लिए मोहलत मांगने पर आश्चर्य व्यक्त किया। जस्टिस एके पालीवाल की एकलपीठ ने संबंधित अधिकारी पर 15 हजार रुपए का जुर्माना लगाया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि जुर्माने की राशि याचिकाकर्ता को अदा नहीं की गई, तो संबंधित अधिकारी के वेतन से 50% कटौती की जाएगी।

बीपीएल सूची में नाम होने पर ही मिलेगा लाभ

हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि आवेदन के समय यदि बीपीएल सूची में नाम दर्ज है, तभी लाभ मिलेगा। आवेदन के बाद सूची में नाम जुड़ने पर कोई लाभ नहीं दिया जाएगा। इस आधार पर, जस्टिस विनय सराफ की एकलपीठ ने रीवा निवासी लक्ष्मी शुक्ला की याचिका खारिज कर दी।

रीवा के एकीकृत बाल विकास अधिकारी ने 16 अक्टूबर 2016 को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया था। इस पद के लिए लक्ष्मी शुक्ला और अनावेदिका शशिकला कुशवाहा ने आवेदन किया था, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि बीपीएल सूची में आवेदन के समय दर्ज नाम ही पात्रता का आधार होगा।

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