ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने विदिशा जिले में 6 साल पहले एक मासूम बालिका के साथ दुष्कर्म हत्या और अपहरण के मामले में फांसी की सजा पाए आरोपी रवि मालवीय को बरी कर दिया है। हाईकोर्ट ने माना है कि पुलिस ने एक निर्दोष युवक को फंसाने के लिए झूठे साक्ष्य तैयार किए थे। इतना ही नहीं पुलिस ने इतने गंभीर मामले में अपनी जांच मे लापरवाही की सीमाएं तोड़ दीं। ना तो साइंटिफिक साक्ष्य पुख्ता तौर पर बनाए गए ना ही चिकित्सीय और डीएनए टेस्ट में गंभीरता बरती गई। पुलिस की कहानी को ही हाईकोर्ट ने बेहद संदिग्ध मानते उसके साक्ष्यों को बनावटी माना है। हाई कोर्ट ने इस मामले में बालिका की मां रेहाना गवाह रुकमणीबाई दो अन्य गवाहों के खिलाफ आपराधिक मामला चलाने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा इंस्पेक्टर संजीव चौकसे एवं विवेचना अधिकारी एसएनएस सोलंकी के खिलाफ भी अपराधिक मामला दर्जी करने के आदेश दिए हैं।
दरअसल 25 अक्टूबर 2015 को विदिशा जिले के सिविल लाइन थाना क्षेत्र में स्थित एक कुएं में साढे़ चार साल की एक बालिका की लाश बरामद हुई थी। इस बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया था उसके बाद लड़की की हत्या की गई थी इस लड़की को भोपाल रेलवे स्टेशन के बाहर से अगवा किया गया था। बताया जाता है कि मृतका की मां रेहाना और आरोपी रवि मालवीय ट्रेन में छोटा-मोटा खाने का सामान बेचते थे। इसी दौरान रिहाना की साढे़ 4 साल की बेटी अचानक गायब हो गई। पता चला कि लड़की की लाश 25 अक्टूबर 2015 को कुएं में मिली थी। पुलिस ने प्रारंभिक बेचन विवेचना के बाद 6 नवंबर को आरोपी रवि मालवी को गिरफ्तार किया था। रवि के खिलाफ विदिशा सत्र न्यायालय में चालान पेश किया गया था जहां उसे 7 मार्च 2020 को फांसी की सजा से दंडित किया गया था। इसके खिलाफ रवि ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी ।इधर विदिशा कोर्ट के फैसले को कंफर्म करने के लिए भी हाईकोर्ट में लाया गया था। हाईकोर्ट ने पुलिस की कहानी को संदिग्ध माना है।