भोपाल।भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा मध्यप्रदेश प्रवास पर हैं। बुधवार को वह दिनभर भोपाल में रहे। उनके दौरे में सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि वह अपना तय कार्यक्रम बदलकर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के घर पहुंच गए। पहले से तय कार्यक्रम में नड्डा का गृहमंत्री निवास जाने का प्लान नहीं था, लेकिन देर रात कार्यक्रम बदला। CM हाउस जाने से पहले गृहमंत्री के घर हाई-टी लेने का प्रोग्राम जोड़ा गया। इसके बाद वे प्रदेश कार्यालय के बाद मिश्रा के निवास पर पहुंचे। यहां मिश्रा ने नड्डा समेत सभी दिग्गज नेताओं की खातिरदारी की। यहां नड्डा करीब आधा घंटे तक रुके। मिश्रा ने नड्डा को समोसे भी परोसे। इसके सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इस तरह अचानक नड्डा का कार्यक्रम बदलना गृहमंत्री की संगठन में तगड़ी पैठ को जाहिर करता है। उन्होंने साबित कर दिया कि दिल्ली में उनकी पकड़ कमजोर नहीं है। गृहमंत्री ने खूब खातिरदारी कर नड्डा का दिल तो जीत ही लिया।
गृहमंत्री ने सीएम शिवराज सिंह चौहान के हाथों जेपी नड्डा का तिलक कराया। इसके बाद स्मृति चिन्ह भेंट किया। नरोत्तम मिश्रा नड्डा मेहमानों को समोसे खिलाते नजर आए। यहां CM शिवराज सिंह चौहान, BJP प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, राष्ट्रीय सहसंगठन महामंत्री शिवप्रकाश, BJP के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, जयभान सिंह पवैया, BJP संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा समेत प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री भी मौजूद रहे। इसमें विश्वास सारंग, कमल पटेल, तुलसी सिलावट, महेंद्र सिंह सिसौदिया समेत अन्य मंत्री भी शामिल थे। स्टेट हैंगर में बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष के स्वागत के लिए समारोह आयोजित किया गया। इस दौरान गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। मंच पर नरोत्तम उन्हें गुलदस्ता भेंट कर आगे बढ़ गए, लेकिन नड्डा ने उन्हें रोक लिया। खुद आगे बढ़कर मिश्रा से हाथ मिलाया।
भोपाल में नड्डा ने कहा कि हमें परिवारवाद के कंसेप्ट को समझना होगा। हमारा मानना है कि पिता अध्यक्ष, बेटा जनरल सेक्रेटरी। पार्लियामेंट्री बोर्ड में चाचा-ताया-ताई। यह परिवारवाद है। परिवारवाद की पार्टियों में पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस (जम्मू कश्मीर), लोकदल (हरियाणा), शिरोमणि अकाली दल (पंजाब), समाजवादी पार्टी (उत्तरप्रदेश), राष्ट्रीय जनता दल (बिहार), टीएमसी (पश्चिम बंगाल), डीएमके (तमिलनाडु), कर्नाटक में कुमार स्वामी की पार्टी, महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी हैं। ये सब परिवारवाद के रिप्रेजेंटेटिव हैं। इनकी कोशिश पिता के बाद बेटे के जगह लेने की होती है। भाजपा अपनी पॉलिसी में ऐसा नहीं करेगी।