भोपाल: गोविंदपुरा स्थित बिजली कंपनी की लैब में बीते साल के दौरान करीब तीन हजार बिजली मीटर जांच के लिए भेजे गए, जिनमें से 90 फीसदी में गड़बड़ी पाई गई। इस गड़बड़ी के आधार पर विजिलेंस टीम ने उपभोक्ताओं पर जुर्माना भी लगाया। हालांकि, उपभोक्ताओं का कहना है कि मीटर की जांच उनके सामने नहीं की गई, जिससे कंपनी की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
क्यों शक के दायरे में है लैब?
24 अगस्त को उपभोक्ता लालतीबाई के घर से विजिलेंस टीम ने मीटर निकालकर जांच के लिए भेजा। 29 अगस्त को जांच में गड़बड़ी पाई गई और उपभोक्ता को 99,630 रुपये का बिल थमा दिया गया। इसी दिन राहुल शर्मा के यहां से भी मीटर जांच के लिए निकाला गया, लेकिन आठ सितंबर तक भी उनकी जांच की स्थिति स्पष्ट नहीं की गई, जिससे उपभोक्ता को शक हो रहा है कि लैब में देरी से रिपोर्ट दी जा रही है ताकि उपभोक्ता खुद उनके पास पहुंचे।
मीटर की जांच कैसे करें?
उपभोक्ता अपने स्तर पर भी मीटर की जांच कर सकते हैं। सबसे पहले मीटर की रीडिंग नोट करें, फिर घर के सभी बिजली उपकरण बंद कर दें। पांच से सात मिनट बाद रीडिंग देखें, यदि रीडिंग बढ़ती है तो मीटर में गड़बड़ी हो सकती है और जांच की आवश्यकता होगी।
उपभोक्ता के सामने जांच का नियम
उपभोक्ता शैलेष त्रिपाठी का कहना है कि जब मीटर की जांच मशीन से होती है, तो फिर उपभोक्ता के सामने जांच क्यों नहीं की जा सकती? नियमों के अनुसार, अत्याधुनिक लैब में मीटर की जांच उपभोक्ता की उपस्थिति में होनी चाहिए। हालांकि, यह कागजी कार्रवाई में दर्ज किया जाता है, लेकिन उपभोक्ताओं को इस प्रक्रिया की जानकारी तब मिलती है, जब उन्हें मीटर में गड़बड़ी और बिल थमा दिया जाता है।
कंपनी का बयान
ऊर्जा विभाग के एसीएस मनु श्रीवास्तव का कहना है कि बिजली की लैब अत्याधुनिक प्रणाली पर आधारित है और मैन्युअल हस्तक्षेप की कोई संभावना नहीं है। यदि कोई शिकायत आती है तो उसकी जांच की जाएगी और उचित कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
इस प्रकार, उपभोक्ताओं के सामने मीटर जांच को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, जो बिजली कंपनी की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर रहे हैं।