नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन तेज होता जा रहा है। 3 दिसंबर को सरकार और किसान नेताओं के बीच हुई बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंची लेकिन दोनों ही पक्षों ने कुछ हद तक बात आगे बढ़ने की बात स्वीकारी।
अगली बैठक 5 दिसंबर को होने वाली है। इस बीच सिंघू बॉर्डर (हरियाणा-दिल्ली बॉर्डर) पर डटे भारतीय किसान यूनियन (BKU-लखवाल) के जनरल सेक्रेटरी, हरविंदर सिंह लखवाल ने कहा है कि 5 दिसंबर को पूरे भारत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पुतले जलाए जाएंगे। साथ ही 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया गया है।
लखवाल ने कहा कि हमने 3 दिसंबर को सरकार को बता दिया कि कृषि कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए। लखवाल ने कहा, ‘‘आज की हमारी बैठक में, हमने आठ दिसंबर को ‘भारत बंद’ का आह्वान करने का फैसला किया है, जिस दौरान हम सभी टोल प्लाजा पर भी कब्जा कर लेंगे। यदि इन कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया गया तो हमने आने वाले दिनों में दिल्ली की शेष सड़कों को अवरूद्ध करने की योजना बनाई है|
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गाजीपुर-गाजियाबाद बॉर्डर पर जमा भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख राकेश टिकैत का कहना है कि 8 दिसंबर को तीनों कृषि कानूनों के विरोध में एक दिवसीय भारत बंद का आह्वान किया गया है। 5 दिसंबर को हम सरकार के साथ बैठक में हिस्सा लेंगे। टिकैत ने कहा कि किसान आशा कर रहे हैं कि सरकार उनकी मांग अगली बैठक में मान लेगी। अगर ऐसा नहीं हुआ तो विरोध जारी रहेगा।
किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि अगर केंद्र सरकार शनिवार की बातचीत के दौरान उनकी मांगों को स्वीकार नहीं करती है, तो वे नए कृषि कानूनों के खिलाफ अपने आंदोलन को तेज करेंगे। दिल्ली के बॉर्डर प्वॉइंट्स पर पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों के किसानों का प्रदर्शन लगातार नौ दिनों से जारी है।
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