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बरई क्षेत्र में मुरम का अवैध उत्खनन: कार्रवाई नहीं होने से शासन को लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान

ग्वालियर। चंबल अंचल में अवैध खनन को रोकने को लेकर शासन से लेकर प्रशासन लाख दावे कर चुका है। लेकिन इन सबके बावजूद आए दिन रेत व पत्थरों के अवैध खनन की खबरें सुर्खियां बनती रहती है। इन सबके बीच अब जिले के कई ऐसे पहाड़ और मैदानी इलाके हैं, जहां से आसपास गांव के लोकल माफिया जमकर मुरम की खुदाई में लगे हुए हैं और यह सब ना तो किसी घनघोर जंगल में हो रहा है और ना ही रात के अंधेरे में हो रहा है… बल्कि प्रशासन की नाक के नीचे जिला मुख्यालय के आसपास कई ऐसे इलाके हैं जहां से जब चाहे आसपास के दबंग जमकर मुरम खोदते हैं और औने पौने दामों पर आसपास बनने वाली सड़कों के ठेकेदारों से सांठगांठ करके बेच देते हैं जिससे पर्यावरण को तो नुकसान हो ही रहा है साथ ही शासन के राजस्व को भी भारी नुकसान हो रहा है।

मशीनों से सैंकड़ों डंपर मुरम खुदाई…

अवैध रूप से मोरम खोदने का काम कोई चोरी छुपे नहीं सबके सामने सीना ठोक कर हो रहा है। ग्वालियर मुख्यालय से करीब 18 किलोमीटर दूर बरई क्षेत्र में स्थानीय माफिया शासकीय भूमि से अवैध मुरम खनन में लगे हुए है। जब स्थानीय ग्रामीणों से मुरम खरीदने के नाम पर जानकारी ली गई, तो जो नाम सामने आए हैं उसके मुताबिक जसवंत कमरिया उर्फ जसुआ एवं उसके दोनों पुत्र अवधेश और छोटू ,और सूरज कमरिया व उसका पुत्र तिगरा गांव के समीप मुरम की धड़ाधड़ खुदाई करने में जुटे हुए है और यह सब पनिहार थाने से महज 2 से 3 किलोमीटर एवं बरई ब्लॉक कार्यालय से महज 1 किलोमीटर दूरी पर दिनदहाड़े किया जा रहा है। आसपास के ग्रामीणों की माने तो यह सभी लोग जेसीबी ,एलएनटी मशीन लगाकर दिनदहाड़े जमकर 150 से 200 डंपर मुरम 300 से 400 रुपए में बेच रहे हैं। जिससे पर्यावरण को तो नुकसान हो ही रहा है। साथ ही शासन को लाखों रुपए के राजस्व का भी नुकसान हो रहा है।

साठगांठ से सरकारी सड़क निर्माण में हो रहा उपयोग…

ऐसा नहीं है ,कि इसकी शिकायत नहीं की गई है। शिकायतकर्ता ने बकायदा तहसीलदार से लेकर खनिज विभाग व कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह तक को जानकारी दी है। लेकिन फिर भी इन लोगों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई है। शिकायतकर्ता की माने तो खोदी गई इस मुरम को बरई से पगारा तक कैलारस सबलगढ़ को जोड़ने वाली 40 किलोमीटर की रोड में इस्तेमाल किया जा रहा है। वही बरई से आमी आमा गांव तक बन रही करीब 3 किलोमीटर की सड़क में भी इसका इस्तेमाल किया गया है। कई बार इनकी शिकायत की गई है। लेकिन हर बार अलग-अलग विभागों की बात करके शिकायत को उलझा दिया जाता है और इन पर कार्रवाई नहीं होती है। जिसका फायदा उठाकर यह सभी मुरम खोदने में जुटे हुए हैं।

प्रशासन को सभी स्तर पर की गयी शिकायत पर नहीं हो रही है सुनवाई…

यह तो सिर्फ एक मामला है… ग्वालियर जिले के अंतर्गत ऐसे कई इलाके हैं। जहां से अवैध रूप से मोरम की खुदाई जारी है। ऐसे कई छोटे पहाड़ आसानी से दिख जाते हैं। जिन्हें आसपास के दबंग ग्रामीणों ने ही खुद खोदकर बेच दिया है और यह सब संबंधित विभागों की धीमी चाल की वजह से हो रहा है। क्योंकि जब भी इन स्थानीय माफियाओं के बारे में कोई शिकायत करता है, तो संबंधित विभाग की ओर से उस शिकायत पर तुरंत एक्शन ना लेते हुए सिर्फ गौर किया जाता है। जब तक संबंधित माफिया को या तो खबर मिल जाती है या फिर वह कुछ दिनों के लिए काम बंद कर देता है। क्षेत्र में इनका खौफ इतना है, कि हर कोई खुलकर इनके बारे में बोलता नहीं है।

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