इंदौर। अनुदान प्राप्त निजी स्कूलों के शिक्षकों को बिना शासन की अनुमति के नौकरी से हटाना संभव नहीं है। यह टिप्पणी करते हुए, हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने माहेश्वरी हायर सेकेंडरी स्कूल की अपील को खारिज कर दिया।
यह मामला जीवविज्ञान संकाय के शिक्षक एसके व्यास से संबंधित है। उन्हें नवंबर 1974 में स्कूल में उच्च श्रेणी शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था, और 1991 में शासन के नियमों के तहत उन्हें लेक्चरर के पद पर पदोन्नति दी गई थी।
नौकरी से हटाए जाने की घटना व्यास को यह पदोन्नति मप्र अशासकीय शिक्षण संस्था अधिनियम के तहत दी गई थी, लेकिन वर्ष 2005 में स्कूल ने अचानक व्यास को यह कहकर नौकरी से हटा दिया कि कक्षा 11वीं और 12वीं में जीवविज्ञान संकाय में कोई एडमिशन नहीं हुआ, इसलिए स्कूल को उनकी आवश्यकता नहीं है।
हाई कोर्ट में अपील व्यास ने स्कूल प्रबंधन के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जिस पर 2007 में कोर्ट ने उन्हें पुनः नियुक्त करने का आदेश दिया। हालांकि, स्कूल ने इस फैसले को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में अपील की।
न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति गजेंद्र सिंह की खंडपीठ ने स्कूल की अपील को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने यह निर्णय दिया कि स्कूल ने बिना शासन से अनुमति प्राप्त किए शिक्षक को नौकरी से हटाया, जो कि गलत था।
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