भोपाल। प्रदेश में जिन लोगों को कृषि उपयोग के लिए जमीन पट्टे पर दी गई है और स्वामित्व मिल चुका है, अब वे जमीन बेच सकेंगे। हालांकि विशेष परिस्थितियों में कलेक्टर की अनुमति से जमीन बेची जा सकती थी, लेकिन अब इसकी अनिवार्यता समाप्त की जा रही है। राज्य कैबिनेट मंगलवार को होने वाली बैठक में राजस्व विभाग के इस प्रस्ताव पर फैसला लेगी।
मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि राजस्व विभाग के प्रस्ताव के मुताबिक जिन लोगों को कृषि उपयोग के लिए सरकारी जमीन पट्टे पर दी गई है, इसका स्वामित्व मिले 10 साल हो गए हैं, उन्हें अब जमीन बेचने का अधिकार दिया जा रहा है। इसके लिए मप्र भू राजस्व संहिता में संशोधन करने के लिए कैबिनेट मंजूरी देगी। प्रस्ताव के मुताबिक जो व्यक्ति पट्टे की जमीन खरीदेगा, उसे बजार दर के हिसाब से 5% राशि सरकार के खजाने में जमा करना होगी। इसके अलावा, जो जमीन पहले बेच दी गई है, लेकिन उसे मान्यता नहीं दी गई है, उसका 5 % सरकारी खजाने में जमा करके मान्य करा सकते हैँ। बैठक में माइनर माइनिंग के अवैध उत्खनन रोकने के अधिकार राजस्व निरीक्षकों से वापस लेकर खनिज विभाग को सौंपने के प्रस्ताव पर भी चर्चा होगी।
प्रदेश में भूमि के अविवादित नामांतरण के तेजी से निराकरण के लिए सरकार साइबर तहसील बनाएगी। इसके लिए अलग से तहसीलदार नियुक्त किया जाएगा। इस व्यवस्था में खरीदार और बेचने वाले को नामांतरण के लिए तहसील कार्यालय आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आवेदन के बाद तहसीलदार नोटिस जारी करेगा। आपत्ति नहीं आने पर नामांतरण कर दिया जाएगा।
राजस्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अविवादित नामांतरण के हजारों मामले संबंधित व्यक्तियों के राजस्व न्यायालय में उपस्थित नहीं होने की वजह से लंबित हैं। भूमि या प्लाॅट बेचने के बाद विक्रेता रुचि नहीं लेते हैं। ऐसे प्रकरणों के तेजी से निराकरण के लिए अब प्रदेश में साइबर तहसील की स्थापना की जाएगी। यह दो जिलों में एक हो सकती है। प्रस्ताव के मुताबिक तहसीलदार आवेदन प्राप्त होने के बाद संबंधितों को नोटिस जारी करेगा। कोई आपत्ति नहीं होने पर आदेश पारित कर देगा। साथ ही, बंधक भूमि का उल्लेख भू-अभिलेख में किए जाने का प्रावधान भी किया जाएगा। हालांकि, इसके लिए संबंधित बैंक या वित्तीय संस्था को आवेदन देना होगा।
1307 मेगावॉट बिजली सौर ऊर्जा खरीदेगी सरकार
प्रदेश के आगर, शाजापुर और नीमच जिले में प्रस्तावित सौर ऊर्जा पार्कों से उत्पादित सौर ऊर्जा में से एक हजार 307 मेगावॉट बिजली मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी द्वारा खरीदी जाएगी। टेंडर प्रक्रिया से जो दर प्राप्त होगी, उसके आधार पर बिजली खरीदी जाएगी। क्रय की जाने वाली बिजली के भुगतान की सुनिश्चितता के लिए सरकार तीसरी गारंटर बनेगी। नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग के इस प्रस्ताव पर भी कैबिनेट में विचार किया जाएगा।