भिंड। भिंड जिले में तीन दिन पहले एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें एक व्यक्ति अपने बीमार पिता को हाथ ठेले पर अस्पताल ले जा रहा था। जब इस बात की जानकारी स्थानीय पत्रकारों को लगी तो उस व्यक्ति ने उन्हें बताया कि एंबुलेंस लेने के लिए कई बार उसने कोशिश की, लेकिन इसके बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची। इसलिए उसने अपने बीमार पिता को एक ठेले पर ले जाने का फैसला किया।
आपको बात दे उसके बाद स्थानीय पत्रकारों ने इस स्वास्थ्य की पोल खुलने वाली खबर को प्राथमिकता से दिखाया। उसके बाद सरकार से लेकर जिला प्रशासन तक इस खबर का असर देखने को मिला और जिला कलेक्टर सतीश कुमार ने इस मामले की जांच के आदेश दे दिए। इसके साथ ही एक जांच दल का गठन कर दिया। जांच दल ने कलेक्टर को रिपोर्ट पेश की और कहा, यह खबर भ्रामक और झूठी है। परिवार ने एंबुलेंस के लिए कॉल करने का कोई प्रयास नहीं किया। उसके बाद कलेक्टर के निर्देश पर तीन पत्रकारों पर जालसाजी का आरोप लगाते हुए इन पर मामला दर्ज किया गया, जिन तीन पत्रकारों पर मामला दर्ज किया गया है उनमें News18, पत्रिका और News24 के संवाददाता शामिल हैं।
पत्रकारों के मुताबिक एक व्यक्ति के अपने पिता को हाथ ठेले पर ले जाने का वीडियो वायरल हुआ था, उसके बाद वह उसके घर पहुंचे थे और पूरी मामले की पड़ताल की तो उसने पत्रकारों को बताया था कि कई बार उसने एंबुलेंस को फोन किया, लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंची और वह हाथ ठेले से अपने पिता को अस्पताल ले गया। इस पूरे मामले में परिवार जनों ने कैमरे पर बोला है कि उन्होंने एंबुलेंस को फोन किया था। लेकिन यह बात अब प्रशासन मानने को तैयार नहीं है।
वही पत्रकारों का आरोप है, प्रशासन ने परिवार पर दबाव डाला है और कहा है कि जो सरकार की तरफ से सुविधाएं मिल रही हैं उनको वापस ले लेंगे। इस कारण पूरा परिवार प्रशासन के दबाव में है। जिला कलेक्टर ने तानाशाही अपनाते हुए पत्रकारों के खिलाफ षड्यंत्र रच उनके खिलाफ मामला दर्ज करवाया है, जिसे पूरे जिले के पत्रकारों में रोष है और अब धीरे-धीरे यह चिंगारी पूरे मध्यप्रदेश में फैलती जा रही है। मध्य प्रदेश के सभी पत्रकार एकजुट होने की तैयारी में है और सरकार और प्रशासन के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शन करने वाले हैं।