बड़वानी। बड़वानी जिले में एक डेढ़ साल की बच्ची के खून का रंग सफेद है। सर्दी-खांसी और बुखार ठीक नहीं होने पर डॉक्टर ने बच्ची के खून की जांच कराई, तब इसका पता लगा। परिजन ने डॉक्टर की सलाह पर महाराष्ट्र के धुलिया और मुंबई में इलाज कराया। उसका ब्लड सैंपल ब्रिटेन भी भेजा गया था। हालांकि, जब तक वहां सैंपल पहुंचा, तब तक वह जांच लायक नहीं बचा।
बड़वानी के खेतिया में ट्रांसपोर्ट का काम करने वाले इमरान तेली, बेटी अनाया को सर्दी-जुकाम होने पर महाराष्ट्र के शहादा हॉस्पिटल ले गए थे। बच्ची का जब खून निकाला गया तो लाल लिक्विड की मात्रा बहुत कम थी, व्हाइट लिक्विड ज्यादा था। परिवार ने बच्ची को धुलिया (महाराष्ट्र) के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय जोशी को दिखाया। डॉ. जोशी ने अनाया को मुंबई रेफर कर दिया। मुंबई के जीएस मेडिकल कॉलेज में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों ने 10 दिन बच्ची को अपने ऑब्जर्वेशन में रखकर जांच की। शुरुआत में डॉक्टरों को कैंसर की आशंका हुई। अनाया के साथ उसके पेरेंट्स और दादा-दादी के खून की भी जांच की। सभी की रिपोर्ट नॉर्मल आई।
भोपाल के हमीदिया अस्पताल में ब्लड बैंक इंचार्ज डॉ. यूएम शर्मा का कहना है कि ये अपने आप में अलग केस है। ब्लड के चार मेन कम्पोनेंट्स होते हैं- प्लाज्मा, रेड ब्लड सेल्स (RBC), व्हाइट ब्लड सेल्स (WBC) और प्लेटलेट्स। प्लाज्मा में लिपिड्स (फैट्स) की मात्रा अधिक हो जाने के कारण प्लाज्मा सफेद दिखता है। छोटे बच्चों में यह आनुवंशिक कारणों से होना देखा गया है। डॉ. यूएम शर्मा ने कहा इस बच्ची की रिपोर्ट से साफ है कि उसका फैट्स और कोलेस्ट्रोल लेवल बढ़ा हुआ है। मेडिकल साइंस में इसे लिपिड मेटाबॉलिज्म डिसऑर्डर कहा जाता है। आमतौर पर ये बड़ों में देखा जाता है, लेकिन एक बच्ची में इस तरह का केस आना अपने आप में रेयर है।