हनुमान जी को कलयुग के देवता कहा जाता है, क्योंकि उन्हें वरदान है कि जब तक पृथ्वी है उसके अंत तक हनुमान जी यहां निवास करेंगे। हनुमान जी को संकटमोचन कहा जाता है। माना जाता है कि उनका नाम लेते ही सब संकट टल जाते है। वहीं देश-प्रदेशों में कई ऐसे चमत्कारी हनुमान मंदिर हैं जहां से भक्तों की मुरादें पूरी होती हैं। इन्हीं मंदिरों में से एक मंदिर बैतूल के टिकारी में स्थित है, जो दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। माना जाता है कि यहां जो भी भक्त अपनी मुराद लेकर आता है और बजरंगबली के सामने अर्जी लगाता है वह कभी खाली हाथ नहीं लौटता। लेकिन आपको बता दें कि यहां अर्जी लगाने का अनोखा तरीका है। आइए जानते हैं मंदिर के बारे में सबकुछ।
यहां पढ़ाई करने वाले छात्रों से लेकर सभी तरह की परेशानियों में घिरे लोग आते हैं और भोज पत्र, पीपल के पत्ते या फिर अकाव के पत्तों पर अपनी अर्जी लिखकर हनुमान जी के चरणों में अर्पित करते हैं। इस तरह अर्जी लगाने से हनुमान जी उनकी मुराद पूरी करते हैं। मंदिर की मूर्ति की बात करें तो यहां स्थापित हनुमान प्रतिमा के दाएं हाथ में संजीवनी पर्वत को उठाए दिखते हैं, जो अति शुभ माना गया है। संकट कटे मिटे सब पीरा जो सुमिरै हनुमत बलबीरा, हनुमान चालीसा की इन पंक्तियों में कितनी शक्ति है इसका अनुभव बैतूल के टिकारी क्षेत्र में स्थित दक्षिण मुखी सिद्ध हनुमान दरबार में होता है।
इस मंदिर के साथ एक दुर्लभ संयोग जुड़ा है, जो काफी विरला है। मंदिर के मुख्य द्वार के सामने एक शमी का वृक्ष है। मान्यताओं के अनुसार शमी के वृक्ष में शनिदेव का वास माना जाता है। इसलिए कहा जाता है कि जब भी सुबह मंदिर के कपाट खुलते हैं तो सबसे पहले शनिदेव हनुमान जी के दर्शन करते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां हनुमान जी के दर्शन मात्र से शनि के प्रकोप से बचा जा सकता है।
कहा जाता है कि बैतूल के टिकरी का यह प्रसिद्ध दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर 200 साल से ज्यादा प्राचीन मंदिर है। जिसकी स्थापना एक स्थानीय जमींदार द्वारा की गई थी। इस हनुमान मंदिर में दो सदियों से लगातार हनुमान भक्तों की आस्था बनी हुई है। यूं तो हर दिन भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं लेकिन शनिवार और मंगलवार के दिन यहां भक्तों का तांता सा लग जाता है।