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स्टाम्प ड्यूटी बढ़ने से, सरकार को खतरा

भोपाल। भोपाल पेट्रोल-डीजल पर ही नहीं बल्कि मप्र स्टांप ड्यूटी वसूलने के मामले में भी सबसे आगे हो गया है।मप्र सरकार सीमित आय के साधनों का हवाला देकर इसे जरूरी बता रही है।हालांकि इससे रियल एस्टेट का कारोबार प्रभावित हो रहा है। आसपास के राज्यों में अब स्टांप ड्यूटी 7 से 12 फीसद तक है। जबकि मप्र सरकार 12.5 फीसद ड्यूटी वसूल रही है। हालांकि दस वर्ष पहले तक बता दें कि वर्ष 2010  में मप्र में स्टांप ड्यूटी पांच फीसदी के करीब थी। इस पर कोई अतिरित चार्ज नहीं लगता था। मगर इसके बाद स्टांप ड्यूटी में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हुई। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने कलेक्टर गाइडलाइन में 20 फीसद की छूट तो दी, लेकिन स्टांप ड्यूटी बढा दी। इस कारण आम जनता को जो राहत मिलने वाली थी वह ना काफी साबित हुई।

जानकारों का कहना है कि स्टाप ड्यूटी कम करने से लोग प्रोत्साहित होते हैं, ताकि वे अपना घर खरीदने का सपना साकार कर पाएं। इससे रोजगार से लेकर दूसरे सेक्टरों में भी फायदा होता है। गौरतब है कि सरकार अगले दो वर्ष में सभी को आवास मुहैया कराने का लक्ष्य लेकर चल रही है लेकिन स्टांप ड्यूटी में कमी के बिना इसमें दिक्कत पैदा हो सकती है। इस अधिकता का असर भोपाल में भी देखा जा सकता है। जहां रजिस्ट्री की संख्या में भारी गिरावट आई है। जहां आम दिनों में यहां 300 रजिस्ट्री प्रतिदिन होती थी, वहीं अब महज 150 रजिस्ट्री ही हो पा रही है।

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